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भारत-आसियान संबंध | AITIGA समीक्षा और रणनीतिक साझेदारी | India-ASEAN

 भारत-आसियान संबंध: AITIGA समीक्षा और रणनीतिक साझेदारी

1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)

📌 लेख का संक्षिप्त सार

भारत-आसियान वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की 2025 समीक्षा भारत-आसियान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह समीक्षा भारत के बढ़ते व्यापार घाटे (2023 में 44 अरब डॉलर) को संतुलित करने और द्विपक्षीय व्यापार को और अधिक समतामूलक बनाने का अवसर प्रदान करती है। भारत-आसियान संबंध 1992 में शुरू हुए और 2022 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत हुए, जो अब व्यापार से आगे बढ़कर रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग तक फैल चुके हैं।

🎯 संदर्भ + पृष्ठभूमि (Context + Background)

  • ऐतिहासिक विकास: भारत-आसियान संवाद साझेदारी 1992 में शुरू हुई, 2009 में AITIGA पर हस्ताक्षर हुए, और 2010 में लागू हुआ 
  • रणनीतिक उन्नयन: 2022 में, संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया 
  • व्यापार मात्रा: द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 122.67 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो भारत के वैश्विक व्यापार का 11% है 
  • हाल की गतिविधियाँ: अगस्त 2025 में, भारत ने AITIGA संयुक्त समिति की 10वीं बैठक की मेजबानी की, और अक्टूबर 2025 में जकार्ता में अगली बैठक निर्धारित है।

⚠️ मुद्दे/चुनौतियाँ (Issues/Challenges)

  • बढ़ता व्यापार घाटा: 2011 में 7.5 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 44 अरब डॉलर हो गया, क्योंकि आयात (234% वृद्धि) निर्यात (130% वृद्धि) से तेजी से बढ़ा।
  • गैर-शुल्क बाधाएँ (NTBs): भारतीय निर्यात (पेट्रोलियम, ऑटोमोबाइल, फार्मा) को आसियान देशों में सख्त मानकों और सीमा शुल्क देरी का सामना करना पड़ता है।
  • छोटे उद्यमों की चुनौतियाँ: भारतीय SMEs आसियान की बेहतर लॉजिस्टिक्स और उत्पादन नेटवर्क के कारण प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते हैं।
  • मूल नियम (RoO) की चुनौतियाँ: चीन जैसे तीसरे देशों से माल के पुनर्निर्यात पर रोक लगाने में कठिनाइयाँ।

🌍 राष्ट्रीय + अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National + International Impact)

  • राष्ट्रीय प्रभाव:
    • भारतीय किसान, डेयरी, वस्त्र और विनिर्माण क्षेत्र सस्ते आसियान आयात से प्रभावित हुए हैं।
    • यही कारण था कि भारत ने 2019 में RCEP से बाहर रहने का निर्णय लिया।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव:
    • चीन की प्रतिस्पर्धा: आसियान के लिए चीन एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, जिससे भारत के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है 
    • रणनीतिक संतुलन: भारत-आसियान सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है 
    • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएँ: सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग से चीन पर निर्भरता कम हो सकती है।

🛣️ आगे का रास्ता / समाधान (Way Forward / Solutions)

  • AITIGA संशोधनमूल नियम (RoO) को सख्त करना और गैर-शुल्क बाधाओं (NTBs) को कम करना।
  • सेवा क्षेत्र पर ध्यान: IT, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और फिनटेक जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना, जहाँ भारत मजबूत है।
  • डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्थाहरित हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक वाहन और जलवायु-स्मार्ट कृषि में साझेदारी 
  • रणनीतिक सहयोग: समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी और साइबर सुरक्षा सहित रक्षा सहयोग को मजबूत करना 
  • कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान बहु-परिवहन परियोजना जैसी पहलों को तेज करना .

📊 Extra Data/Report/Case Studies

  • आसियान-भारत व्यापार संतुलन: 2023-24 में भारत-आसियान व्यापार 130 अरब डॉलर से अधिक हो गया, लेकिन भारत का व्यापार घाटा 44 अरब डॉलर तक पहुँच गया 
  • सिंगापुर का महत्व: सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा आसियान व्यापार साझेदार है, जिसका कुल व्यापार में 3% हिस्सा है 
  • ब्रह्मोस मिसाइल सौदा: भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल प्रणाली बेचकर रक्षा सहयोग बढ़ाया .

2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance)

📚 किस GS Paper (I/II/III/IV), Essay या Optional से जुड़ा है

  • GS Paper II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध - द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित।
  • GS Paper III: अर्थव्यवस्था - व्यापार नीति, विदेशी निवेश, और आर्थिक सहयोग।
  • निबंध: भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इसकी भूमिका।

🔑 कीवर्ड और आयाम (Keywords & Dimensions)

  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR): क्षेत्रीय व्यापार समझौते, रणनीतिक साझेदारी, भू-राजनीति।
  • अर्थव्यवस्था (Economy): व्यापार घाटा, गैर-शुल्क बाधाएँ, मूल नियम।
  • सुरक्षा (Security): समुद्री सुरक्षा, रक्षा सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन।
  • पर्यावरण (Environment): हरित प्रौद्योगिकी, सतत विकास।

3. यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न

📖 Related Prelims PYQ (साल + प्रश्न)

  • 2023: आसियान (ASEAN) के सदस्य देशों के regarding, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

(a) आसियान की स्थापना 1967 में हुई थी और इसके संस्थापक सदस्यों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड शामिल हैं।

(b) आसियान का मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में है।

(c) आसियान का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना है।

(d) उपरोक्त सभी।

(उत्तर: d)

📝 Related Mains PYQ (साल + प्रश्न)

  • 2022: "भारत-आसियान संबंध केवल आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुए हैं।" टिप्पणी कीजिए।
  • 2021: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' के महत्व और चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।

🔮 संभावित प्रश्न भविष्य के लिए (Expected Possible Question in Future)

  • Prelims: AITIGA, आसियान सदस्य देशों, और भारत-आसियान व्यापार डेटा के बारे में तथ्यात्मक प्रश्न।
  • Mains: "AITIGA की 2025 समीक्षा भारत-आसियान व्यापार संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।" विश्लेषण कीजिए।

4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)

❓ Q. भारत-आसियान वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की 2025 समीक्षा भारत-आसियान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

👉 मॉडल उत्तर संरचना (Model Answer Structure)

📌 परिचय (Introduction)

भारत-आसियान वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की 2025 समीक्षा भारत-आसियान संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का अवसर प्रदान करती है। यह समीक्षा भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को संतुलित करने और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

📌 मुख्य भाग (Body)

  • व्यापार असंतुलन: 2023 में भारत का आसियान के साथ व्यापार घाटा 44 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो 2011 की तुलना में लगभग छह गुना अधिक है। यह असंतुलन भारतीय उद्योगों, विशेष रूप से किसानों, डेयरी और विनिर्माण क्षेत्रों के लिए चिंता का विषय है।
  • गैर-शुल्क बाधाएँ (NTBs): भारतीय निर्यातकों को आसियान देशों में सख्त मानकों और सीमा शुल्क देरी का सामना करना पड़ता है, जिससे निर्यात प्रभावित होता है।
  • मूल नियम (RoO) की चुनौतियाँ: वर्तमान नियम चीन जैसे तीसरे देशों से माल के पुनर्निर्यात को रोकने में अप्रभावी हैं, जिससे भारतीय बाजार में सस्ते आयात को बढ़ावा मिलता है।
  • रणनीतिक महत्व: आसियान के साथ संबंध भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' का केंद्र हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करते हैं 

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

AITIGA की 2025 समीक्षा भारत-आसियान संबंधों को पुनर्परिभाषित करने का एक अवसर है। व्यापार घाटे को कम करने, गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने और मूल नियमों को सख्त करने से द्विपक्षीय व्यापार संतुलित हो सकता है। इसके अलावा, डिजिटल अर्थव्यवस्था, हरित प्रौद्योगिकी और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से भारत-आसियान साझेदारी और मजबूत होगी।

5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)

  • AITIGA (ASEAN-India Trade in Goods Agreement): भारत और आसियान देशों के बीच 2009 में हस्ताक्षरित एक मुक्त व्यापार समझौता, जो 2010 में लागू हुआ। इसका उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाना है।
  • गैर-शुल्क बाधाएँ (Non-Tariff Barriers - NTBs): व्यापार में अप्रत्यक्ष बाधाएँ जैसे सख्त मानक, प्रमाणन आवश्यकताएँ और सीमा शुल्क देरी, जो निर्यात को प्रभावित करती हैं।
  • मूल नियम (Rules of Origin - RoO): नियम जो यह निर्धारित करते हैं कि उत्पाद का मूल देश कौन सा है, ताकि मुक्त व्यापार समझौते का लाभ केवल सदस्य देशों को मिले।
  • व्यापार घाटा (Trade Deficit): किसी देश का आयात मूल्य और निर्यात मूल्य के बीच का अंतर, जब आयात निर्यात से अधिक होता है।

References

  1. भारत-आसियान संबंधों पर 10 सूत्री योजना
  2. भारत-आसियान संबंधों का नया युग
  3. आसियान का चीन से तकरार, भारत से संबंध सुधारने का करार
  4. भारत की आसियान भागीदारी: रणनीतिक लाभ और भविष्य के रास्ते


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