✍️ संधि (Sandhi in Hindi Grammar)
संधि का अर्थ है — दो वर्णों या शब्दों का मेल या जोड़। हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar for SSC & UPSC) में संधि एक महत्वपूर्ण विषय है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछा जाता है।
✍️ संधि विच्छेद (Sandhi Vicched)
संधि किये गये शब्दों को अलग-अलग करके पूर्व रूप में लाना ही संधि विच्छेद कहलाता है।
जैसे —
विद्यार्थी = विद्या + अर्थी
यह प्रक्रिया संधि विच्छेद कहलाती है।
✍️ संधि का अर्थ
‘संधि’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है — जोड़ अथवा मेल। हिन्दी भाषा में संधि का प्रयोग विशेषकर तत्सम शब्दों में होता है, जिसमें संस्कृत के नियमों का पालन किया जाता है।
संधि के नियम निश्चित होते हैं, जिनके अनुसार दो वर्णों का मेल (Sandhi Rules in Hindi Grammar) किया जाता है।
✍️ संधि के भेद (Types of Sandhi in Hindi)
हिन्दी व्याकरण में संधि के तीन मुख्य भेद माने गए हैं —
- स्वर संधि (Swar Sandhi)
- व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi)
- विसर्ग संधि (Visarga Sandhi)
1️⃣ स्वर संधि (Swar Sandhi)
दो स्वरों के मेल से जो संधि होती है, उसे स्वर संधि कहते हैं।जैसे — विद्या + आलय = विद्यालय
स्वर संधि के भेद —
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- अयादि संधि
✍️ (i) दीर्घ संधि — [ सूत्र – अक: सवर्णे दीर्घ: ]
जब दो समान स्वरों का मेल होता है, तो उनके स्थान पर दीर्घ स्वर आ जाता है।
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✍️ (ii) गुण संधि — [ सूत्र – आद्गुण: ]
जब अ/आ के बाद इ, उ, ऋ, लृ आते हैं तो क्रमशः ए, ओ, अर्, अल् आदेश होता है।
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✍️ (iii) वृद्धि संधि — [ सूत्र – वृद्धिरेचि ]
अ/आ + ए/ऐ → ऐ
अ/आ + ओ/औ → औ
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✍️ (iv) यण संधि — [ सूत्र- इको यणचि ]
इ/ई + असमान स्वर → य्
उ/ऊ + असमान स्वर → व्
ऋ + असमान स्वर → र
लृ + असमान स्वर → ल्
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✍️ (v) अयादि संधि — [ सूत्र – एचोऽयवायाव: ]
ए, ऐ, ओ, औ + असमान स्वर → क्रमशः अय्, आय्, अव्, आव् आदेश
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📌 निष्कर्ष (Conclusion)
हिन्दी व्याकरण में संधि का अध्याय न केवल भाषा ज्ञान के लिए बल्कि SSC, UPSC, CTET, TGT-PGT जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
संधि के प्रकार, नियम व उदाहरणों को अच्छी तरह समझना आपकी तैयारी को मजबूत बनाएगा।

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