सारनाथ : बुद्ध के प्रथम उपदेश से भारतीय गणराज्य के प्रतीक तक
1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)
लेख का संक्षिप्त सार
भारत सरकार ने सारनाथ, बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक, को वर्ष 2025-26 के चक्र के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में नामांकित किया है। सारनाथ वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था और जहाँ से बौद्ध संघ की स्थापना हुई। यह स्थल अपने प्राचीन ऐतिहासिक महत्व, अशोक स्तंभ (भारत का राष्ट्रीय प्रतीक) और धमेख स्तूप के लिए प्रसिद्ध है।

संदर्भ + पृष्ठभूमि (Context + Background)
- धार्मिक महत्व: सारनाथ (प्राचीन नाम: मृगदाव/ऋषिपत्तन) बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों (लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर) में से एक है।
ऐतिहासिक विकास:
- मौर्य काल: सम्राट अशोक (तीसरी शताब्दी ई.पू.) ने यहाँ सिंह स्तंभ सहित कई स्तूप और मठ बनवाए।
- कुषाण एवं गुप्त काल: इन शासकों ने स्थल का जीर्णोद्धार कर नई संरचनाएँ जोड़ीं।
- पतन एवं पुनर्खोज: 12वीं सदी में स्थल को गंभीर क्षति पहुँची और यह लगभग 700 वर्षों तक विस्मृत रहा। 18वीं सदी के अंत में इसकी पुनर्खोज हुई और 1835-36 में अलेक्जेंडर कनिंघम ने इसकी पहचान स्थापित की।
मुद्दे/चुनौतियाँ (Issues/Challenges)
- विरासत संरक्षण: सदियों पुरानी संरचनाओं को प्राकृतिक अपक्षय, प्रदूषण और पर्यटकों के दबाव से बचाना एक बड़ी चुनौती है।
- यूनेस्को मानदंडों की पूर्ति: नामांकन के लिए 'उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य' (Outstanding Universal Value - OUV) प्रदर्शित करना और प्रभावी प्रबंधन योजना प्रस्तुत करना आवश्यक है।
- पर्यटन प्रबंधन: बढ़ती आगंतुक संख्या (2024-25 में 8.43 लाख+) के दबाव को प्रबंधित करते हुए स्थल की सुरक्षा और आगंतुकों के अनुभव को संतुलित करना।
राष्ट्रीय + अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National + International Impact)
- राष्ट्रीय: यह भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और राष्ट्रीय गौरव की भावना को बल मिलेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय: विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिलने से सारनाथ को वैश्विक पहचान मिलेगी। यह बौद्ध धर्म के इतिहास में भारत की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करेगा और दुनिया भर के बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह भारत की 'सॉफ्ट पावर' को भी मजबूत करेगा।
आगे का रास्ता / समाधान (Way Forward / Solutions)
- वैज्ञानिक संरक्षण: पुरातात्विक स्थलों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए उन्नत तकनीकों और विशेषज्ञता का उपयोग।
- सतत् पर्यटन: एक व्यापक पर्यटन प्रबंधन योजना लागू करना, जिसमें आगंतुकों की संख्या नियंत्रण, सुविधाओं का विकास और जागरूकता अभियान शामिल हों।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदाय को संरक्षण और पर्यटन गतिविधियों में शामिल करना ताकि वे इसके लाभार्थी बनें और रक्षक भी।
2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance)
- जीएस पेपर I:
- भारतीय विरासत और संस्कृति: प्राचीन इतिहास, कला रूप, स्थापत्यकला और साहित्य से संबंधित विषय। सारनाथ बौद्ध कला और वास्तुकला (स्तूप, स्तंभ) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- विश्व के इतिहास में 18वीं सदी तक की घटनाएँ: बौद्ध धर्म का उदय और प्रसार।
- निबंध (Essay): भारतीय संस्कृति की निरंतरता, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, पर्यटन और विकास जैसे विषयों पर सारनाथ एक प्रासंगिक उदाहरण के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- कीवर्ड और आयाम (Keywords & Dimensions):
- सांस्कृतिक विरासत (Cultural Heritage): भारत की समृद्ध प्राचीन विरासत और उसका संरक्षण।
- धर्म और दर्शन (Religion & Philosophy): बौद्ध धर्म का इतिहास, सिद्धांत और उसका भारतीय समाज पर प्रभाव।
- पुरातत्व (Archaeology): पुरातात्विक उत्खनन और ऐतिहासिक स्थलों का पुनरुद्धार।
- पर्यटन (Tourism): धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): यूनेस्को जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग और 'सॉफ्ट पावर'।
- शासन (Governance): भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की भूमिका और सांस्कृतिक विरासत प्रबंधन।
3. यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न
Related Prelims PYQ:
- (2023)
सारनाथ में बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
यह चार सबसे पवित्र बौद्ध स्थलों में से एक है।
अशोक के सिंह स्तंभ के शीर्ष को अब भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) केवल 1 और 3
उत्तर: (c) 1, 2 और 3
Related Mains PYQ:
- (2019) "भारतीय कला और संस्कृति की निरंतरता मध्यकालीन युग में भी बनी रही।" चर्चा कीजिए। (सारनाथ जैसे स्थलों के विनाश और बाद के पुनरुद्धार को इसका उदाहरण दिया जा सकता है)।
- (2017) बौद्ध धर्म की कला और वास्तुकला में हुई प्रगति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (स्तूप और स्तंभ वास्तुकला के प्रमुख उदाहरण हैं)।
संभावित प्रश्न भविष्य के लिए:
- प्रारंभिक परीक्षा: सारनाथ, नालंदा, विक्रमशिला आदि बौद्ध केंद्रों के संबंध में बहुविकल्पीय प्रश्न।
मुख्य परीक्षा:
- सारनाथ जैसे धार्मिक स्थलों के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनने के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक निहितार्थों की विवेचना कीजिए।
- भारत में अपनी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)
Q. सारनाथ के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए, यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में इसके समावेशन के लाभों की चर्चा कीजिए। (10 अंक)
👉 मॉडल उत्तर संरचना
परिचय:
सारनाथ (ऋषिपत्तन), वाराणसी के निकट स्थित, बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना प्रथम उपदेश (धर्मचक्रप्रवर्तन) दिया था, जिससे बौद्ध संघ की नींव पड़ी। हाल ही में, भारत सरकार ने इसे यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए नामांकित किया है।
मुख्य भाग:
- ऐतिहासिक महत्व:
- मौर्य युग: सम्राट अशोक ने यहाँ सिंह स्तंभ स्थापित किया, जिसका शीर्ष भाग वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। उन्होंने धमेख स्तूप जैसे स्मारकों का निर्माण करवाया।
- बाद के युग: कुषाण और गुप्त शासकों ने इस स्थल के निरंतर विकास और जीर्णोद्धार में योगदान दिया।
- पुनर्खोज: 18वीं सदी के अंत में हुई इसकी पुनर्खोज और बाद के उत्खननों ने भारतीय इतिहास और पुरातत्व को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- धार्मिक महत्व: यह बौद्ध धर्म की परंपरा में 'धर्मचक्र प्रवर्तन' का स्थान है, जो इसे सम्पूर्ण बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र बनाता है। यह बौद्ध धर्म के प्रसार का प्रतीकात्मक केंद्र है।
यूनेस्को सूची में शामिल होने के संभावित लाभ:
- वैश्विक पहचान: इससे सारनाथ को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिलेगी और वैश्विक सांस्कृतिक परिदृश्य पर इसकी स्थिति मजबूत होगी।
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था: विश्व धरोहर का टैग पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाएगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और बुनियादी ढाँचे के विकास को गति मिलेगी।
- वैज्ञानिक संरक्षण: यूनेस्को का दर्जा मिलने से संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों, विशेषज्ञता और संसाधनों तक बेहतर पहुँच प्राप्त होगी।
निष्कर्ष:
सारनाथ भारत की प्राचीन बौद्ध विरासत का एक जीवंत प्रतीक है। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में इसका शामिल होना न केवल इसके संरक्षण को सुनिश्चित करेगा बल्कि इसके माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक परंपरा को विश्व पटल पर और अधिक प्रतिष्ठा दिलाएगा। यह एक सार्थक और स्वागत योग्य कदम है।
5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)
- यूनेस्को विश्व धरोहर सूची (UNESCO World Heritage List): यूनेस्को द्वारा प्रशासित एक सूची जो ऐसे स्थलों को मान्यता देती है जिनका सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक या अन्य रूप में outstanding universal value (उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य) है और जिनके संरक्षण की आवश्यकता है।
- धमेख स्तूप (Dhamek Stupa): सारनाथ में स्थित एक विशाल स्तूप, जिसे उस स्थान पर बनाया गया माना जाता है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। यह मौर्य कालीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar): सम्राट अशोक द्वारा सारनाथ में स्थापित एक पत्थर का स्तंभ। इसके शीर्ष पर चार सिंहों की मूर्ति है, जिसे भारत के राजचिह्न के रूप में अपनाया गया है। यह शिल्प कला का शानदार उदाहरण है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India - ASI): भारत सरकार का एक प्रमुख संगठन जो देश की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातात्विक शोध, संरक्षण और रख-रखाव के लिए जिम्मेदार है। यह सारनाथ सहित अधिकांश प्राचीन स्मारकों का संरक्षक है।
References
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) - सारनाओ
- यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर - टेंटेटिव लिस्ट (भारत की सूची में सारनाथ शामिल होगा)
- प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो (PIB) - संस्कृति मंत्रालय से संबंधित विज्ञप्तियाँ
- उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग - सारनाथ
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