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धर्मांतरण-रोधी कानून | Supreme Court Verdict on Anti-Conversion Law

 धर्मांतरण-रोधी कानून और सर्वोच्च न्यायालय

1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis) :

लेख का संक्षिप्त सार :

सर्वोच्च न्यायालय ने कई राज्यों द्वारा लागू किए गए धर्मांतरण-रोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की है। इन कानूनों को "धर्म स्वतंत्रता अधिनियम" कहा जाता है, लेकिन वस्तुतः ये धर्मांतरण को नियंत्रित करने वाले कानून हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने सवाल उठाया है कि यह तय करने का अधिकार किसके पास है कि कोई धर्मांतरण 'धोखाधड़ी' से किया गया है या नहीं

संदर्भ + पृष्ठभूमि (Context + Background) :

  • कई राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक) ने धर्मांतरण-रोधी कानून लागू किए हैं
  • इन कानूनों का औपचारिक नाम "धर्म स्वतंत्रता अधिनियम" है, लेकिन इन्हें धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है
  • सर्वोच्च न्यायालय ने इन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की और राज्यों से जवाब मांगा है

मुद्दे/चुनौतियाँ (Issues/Challenges) :

  • अस्पष्ट परिभाषाएँ: 'प्रलोभन' या 'धोखाधड़ी' जैसी शर्तों की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है
  • कठोर प्रावधान: इन कानूनों में न्यूनतम 20 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान है, और जमानत की शर्तें बहुत कठोर हैं
  • तीसरे पक्ष की शिकायत: कानून तीसरे पक्ष को अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले युगलों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने का अधिकार देते हैं
  • मौलिक अधिकारों पर प्रभाव: ये कानून अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 21 (गरिमा, निजता और पसंद का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन कर सकते हैं

राष्ट्रीय + अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National + International Impact) :

  • राष्ट्रीय प्रभाव: इन कानूनों से अंतर्धार्मिक विवाहों और स्वैच्छिक धर्मांतरण के विरुद्ध दुरुपयोग का जोखिम है。इससे अल्पसंख्यकों और अंतर्धार्मिक जोड़ों का उत्पीड़न बढ़ सकता है
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव: अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन इन कानूनों पर नजर रख रहे हैं, क्योंकि ये धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को प्रभावित कर सकते हैं।

आगे का रास्ता / समाधान (Way Forward / Solutions) :

  • स्पष्ट परिभाषाएँ: 'धोखे से धर्मांतरण' को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि मनमानी से बचा जा सके
  • न्यायिक जाँच: व्यक्तिगत अधिकारों और सार्वजनिक व्यवस्था के बीच संतुलन सुनिश्चित करने के लिए राज्य के कानूनों की न्यायिक जाँच होनी चाहिए
  • जागरूकता और संवाद: निजी धार्मिक निर्णयों को अपराध घोषित करने के बजाय जागरूकता और संवाद को बढ़ावा देना चाहिए


2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance) :

किस GS Paper (I/II/III/IV), Essay या Optional से जुड़ा है

  • GS Paper II: भारतीय संविधान, शासन, कानून और न्याय से संबंधित मुद्दे।
  • GS Paper I: भारतीय समाज की विशेषताएँ, धर्मनिरपेक्षता।
  • निबंध: धर्मनिरपेक्षता, मौलिक अधिकार, और सामाजिक न्याय पर निबंध।

कीवर्ड और आयाम (Keywords & Dimensions)

  • शासन (Governance): कानूनी ढाँचा, न्यायिक समीक्षा।
  • समाज (Society): धार्मिक स्वतंत्रता, अंतर्धार्मिक विवाह, सामाजिक सद्भाव।
  • अधिकार (Rights): मौलिक अधिकार, निजता का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता।


3. यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न :

Related Prelims PYQ

2021: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) यह केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों पर लागू होता है।
(b) यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
(c) यह केवल अल्पसंख्यकों पर लागू होता है।
(d) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की अनुमति देता है।
(उत्तर: b)

Related Mains PYQ

2019: "भारतीय संविधान में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह असीमित नहीं है।" टिप्पणी कीजिए।

संभावित प्रश्न भविष्य के लिए

  • Prelims: धर्मांतरण-रोधी कानूनों से संबंधित तथ्यात्मक प्रश्न।
  • Mains: "धर्मांतरण-रोधी कानून भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।" विश्लेषण कीजिए।


4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice) :

Q. धर्मांतरण-रोधी कानून भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

👉 मॉडल उत्तर संरचना (Model Answer Structure)

  • परिचय: धर्मांतरण-रोधी कानूनों का संक्षिप्त परिचय और सर्वोच्च न्यायालय की recent hearings का उल्लेख।
  • मुख्य भाग:

    • इन कानूनों का अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 21 (निजता और पसंद का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) पर प्रभाव।
    • कठोर प्रावधान और तीसरे पक्ष की शिकायत के मुद्दे।
    • सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ और चिंताएँ।
  • निष्कर्ष: संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए आगे का रास्ता सुझाएँ।

5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)

  • धर्मांतरण-रोधी कानून: ये कानून धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं, और इन्हें कई राज्यों में लागू किया गया है
  • अनुच्छेद 25: यह भारतीय संविधान का एक अनुच्छेद है जो धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन
  • अनुच्छेद 21: यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जिसमें निजता और पसंद का अधिकार भी शामिल है
  • अनुच्छेद 14: यह कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है और मनमाने प्रतिबंधों को प्रतिबंधित करता है.


References

  1. कपटपूर्ण धर्मपरिवर्तन पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
  2. धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर आठ राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
  3. कितने राज्यों में है धर्मांतरण विरोधी कानून, सुप्रीम कोर्ट लगा सकता है रोक
  4. सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर रोक लगाने की याचिकाओं पर राज्यों से जवाब मांगा
  5. धर्मांतरण कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से जवाब मांगा
  6. मतांतरण विरोधी कानूनों पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
  7. धर्मांतरण विरोधी कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने UP-उत्तराखंड समेत 4 राज्यों से जवाब मांगा

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