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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) रिपोर्ट 2022-23 | राज्य वित्त की समीक्षा | State Finance Audit

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने राज्य वित्त 2022-23 रिपोर्ट जारी की

1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis) :

लेख का संक्षिप्त सार :

एक हालिया व्यापक रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के 28 राज्यों का संयुक्त ऋण देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 22.17% था, जो राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम द्वारा निर्धारित 20% के लक्ष्य से अधिक है। रिपोर्ट राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य में व्यापक असमानताओं, बढ़ते राजकोषीय घाटे और सीमित राजस्व सृजन क्षमता पर प्रकाश डालती है।

संदर्भ + पृष्ठभूमि :

  • यह विश्लेषण 2013-14 से 2022-23 की अवधि पर आधारित है।
  • FRBM अधिनियम, 2003 राज्य सरकारों के लिए वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के मानदंड निर्धारित करता है, जिसमें 2024-25 तक ऋण-जीडीपी अनुपात को 20% तक सीमित करना शामिल है।
  • हालांकि, अधिकांश राज्य इस लक्ष्य को पूरा करने से दूर हैं, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरity के लिए चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
मुद्दे/चुनौतियाँ :

  • उच्च ऋण-जीएसडीपी अनुपात: पंजाब (40.35%), नागालैंड (37.15%) और पश्चिम बंगाल (33.70%) जैसे राज्यों का ऋण उनकी अर्थव्यवस्था के आकार के लिए खतरनाक रूप से उच्च है।
  • राजकोषीय घाटे में वृद्धि: सभी राज्यों ने राजकोषीय घाटा दर्ज किया, जो FRBM के 3.5% के लक्ष्य से कहीं अधिक था (जैसे, हिमाचल प्रदेश में 6.46%)।
  • राजस्व सृजन में असमानता: हरियाणा जैसे राज्य अपने स्वयं के कर राजस्व (SOTR) पर 70% तक निर्भर हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य केंद्रीय सहायता पर अधिक निर्भर हैं (SOTR केवल 9%)।
  • प्रतिबद्ध व्यय में वृद्धि: वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान जैसे अनिवार्य खर्चों ने राजस्व व्यय का एक बड़ा हिस्सा (42% से अधिक) घेर लिया है, जिससे उत्पादक निवेश के लिए कम room बचता है।
  • सब्सिडी का बोझ: कृषि ऋण माफी, नकद हस्तांतरण और सब्सिडी युक्त बिजली जैसी योजनाओं ने राज्यों के वित्त पर दबाव डाला है।
  • जीएसटी पर निर्भरता: कर संग्रहण के लिए जीएसटी पर अत्यधिक निर्भरता ने राज्यों की अपनी राजस्व क्षमता विकसित करने की क्षमता को सीमित कर दिया है।
राष्ट्रीय + अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव :

  • राष्ट्रीय: उच्च राज्य ऋण समग्र राष्ट्रीय बचत दर को कम करता है, मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है, और देश की साख rating को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। यह सहकारी संघवाद को भी चुनौती देता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय: निवेशक देश की आर्थिक स्थिरity को देखते हैं। राज्यों का खराब fiscal health भारत के लिए विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और इसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों (जैसे IMF, World Bank) से उधार लेने की लागत बढ़ा सकता है।

आगे का रास्ता / समाधान :

  • राजस्व संग्रहण में सुधार: जीएसटी का विस्तार, संपत्ति कर और स्थानीय निकायों को कर संग्रहण का अधिकार देना।
  • सब्सिडी का युक्तिकरण: लक्षित नकद हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से सब्सिडी का बेहतर टारगेटिंग।
  • सार्वजनिक व्यय में सुधार: बुनियादी ढाँचे और मानव पूंजी में निवेश को प्राथमिकता देना।
  • FRBM मानदंडों का पालन: राज्यों को अपने fiscal deficit और debt targets को Strictly follow करना चाहिए।
  • राज्यों के बीच सहयोग: Best practices को साझा करना और revenue collection के innovative तरीकों को अपनाना।


2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance) :

  • जीएस पेपर III: अर्थव्यवस्था - भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाना, विकास के लिए बजटing; सरकारी बजटing और fiscal policy; Inclusive growth और associated issues.
  • जीएस पेपर II: शासन - केन्द्र-राज्य संबंध, वित्त आयोग, सहकारी संघवाद।
  • निबंध: Fiscal federalism, राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता, या आर्थिक सुधारों पर topics से related।
  • कीवर्ड और आयाम:

    • शासन (Governance): FRBM अधिनियम, Fiscal Responsibility, केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध।
    • अर्थव्यवस्था (Economy): राजकोषीय घाटा, ऋण-जीडीपी अनुपात, राजस्व घाटा, सब्सिडी, जीएसटी।
    • सामाजिक न्याय (Social Justice): लक्षित सब्सिडी, सामाजिक कल्याण योजनाओं का वित्तीय प्रभाव।
    • विकास (Development): बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए संसाधन जुटाना, Sustainable development।


3. यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न ;

  • Related Prelims PYQ (2023): भारत के संदर्भ में 'ऋण-सकल घरेलू उत्पाद अनुपात' का क्या महत्व है?

(a) यह देश की अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिति का एक संकेतक है।

(b) यह सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की लाभप्रदता का एक संकेतक है।

(c) यह सरकार के ऋण सेवा बोझ का एक संकेतक है।

(d) यह सरकार द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी की सीमा का एक संकेतक है।

(उत्तर: c)

  • Related Mains PYQ (2019): "भारत में राज्यों के लिए fiscal consolidation एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।" टिप्पणी कीजिए।
  • संभावित प्रश्न भविष्य के लिए:

    • Prelims: FRBM लक्ष्यों, ऋण-जीडीपी अनुपात की गणना, या最高 ऋण वाले राज्यों के बारे में तथ्यात्मक प्रश्न।
    • Mains: भारतीय राज्यों में बढ़ते fiscal stress के कारणों की विवेचना कीजिए। क्या FRBM ढाँचा राज्यों के लिए प्रासंगिक है? राज्यों की fiscal autonomy बनाम fiscal discipline पर चर्चा कीजिए।


4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice) :

Q. भारतीय राज्यों में बढ़ता सार्वजनिक ऋण देश की आर्थिक स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है। विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

👉 मॉडल उत्तर संरचना

  • परिचय: हाल के आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्यों के ऋण के बढ़ते स्तर और FRBM लक्ष्यों से विचलन के बारे में संक्षिप्त में बताएं।
  • मुख्य भाग:

    • कारण: उच्च प्रतिबद्ध व्यय (वेतन, पेंशन, ब्याज), युक्तिहीन सब्सिडी, कमजोर राजस्व संग्रह (जीएसटी पर निर्भरता), और Populist policies पर चर्चा करें।
    • प्रभाव: बुनियादी ढाँचे और विकास पर खर्च में कमी, मुद्रास्फीतिकारी दबाव, राष्ट्रीय बचत दर में कमी, और sovereign credit rating पर प्रतिकूल प्रभाव का विश्लेषण करें।
    • चुनौतियाँ: Fiscal federalism की जटिलता, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, और आर्थिक विकास पर COVID-19 के प्रभाव का उल्लेख करें।
  • निष्कर्ष: राजस्व बढ़ाने, व्यय को युक्तिसंगत बनाने, FRBM लक्ष्यों को मजबूत करने और केंद्र-राज्य सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए एक संतुलित, forward-looking solution सुझाएं।


7. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)

  • ऋण-जीडीपी अनुपात (Debt-to-GDP Ratio): किसी देश/राज्य का कुल ऋण और उसके सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात। यह ऋण की स्थिरता का एक प्रमुख संकेतक है। जितना कम अनुपात, अर्थव्यवस्था उतनी ही अधिक स्वस्थ मानी जाती है।
  • राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): सरकार के कुल व्यय और उसके कुल राजस्व (गैर-ऋण स्रोतों से प्राप्त) के बीच का अंतर। यह अंतर उधारी से पूरा किया जाता है।
  • FRBM अधिनियम (Fiscal Responsibility and Budget Management Act): 2003 में पारित एक कानून जिसका उद्देश्य राजकोषीय अनुशासन स्थापित करना, राजकोषीय घाटे को कम करना और राजकोषीय प्रबंधन में पारदर्शिता लाना है।
  • राजस्व व्यय (Revenue Expenditure): सरकार का वह व्यय जिससे कोई संपत्ति नहीं बनती, जैसे वेतन, सब्सिडी, ब्याज भुगतान। यह सरकार की दैनिक कार्यप्रणाली के लिए होता है।
  • जीएसडीपी (Gross State Domestic Product - GSDP): किसी विशेष राज्य की सीमाओं के भीतर एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य। यह राज्य-level का जीडीपी है।


References

  1. RBI Report on State Finances: A Study of Budgets
  2. The Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003
  3. Press Information Bureau (PIB) Releases on Fiscal Data
  4. Ministry of Finance, Government of India
  5. The Hindu BusinessLine - Analysis on State Finances


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