🔰 भारत की IPC (Indian Penal Code) धाराएँ 1-511: पूर्ण मार्गदर्शिका
भारतीय दंड संहिता (IPC) भारतीय कानून की रीढ़ है। यह अपराध, दंड, सरकारी अधिकार और निजी सुरक्षा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है। यह गाइड UPSC, SSC, LLB परीक्षार्थियों और कानून के छात्रों के लिए संपूर्ण IPC सूची प्रस्तुत करता है।
🛑आईपीसी धारा 2 - भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड।
🛑आईपीसी धारा 3 - भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दण्ड।
🛑आईपीसी धारा 4 - राज्यक्षेत्रातीत / अपर देशीय अपराधों पर संहिता का विस्तार।
🛑आईपीसी धारा 5 - कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना।
🛑आईपीसी धारा 6 - संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना।
🛑आईपीसी धारा 7 - एक बार स्पष्टीकॄत वाक्यांश का अभिप्राय।
🛑आईपीसी धारा 8 - लिंग
🛑आईपीसी धारा 9 - वचन
🛑आईपीसी धारा 10 - पुरुष। स्त्री।
🛑आईपीसी धारा 11 - व्यक्ति
🛑आईपीसी धारा 12 - जनता / जन सामान्य
🛑आईपीसी धारा 13 - क्वीन की परिभाषा
🛑आईपीसी धारा 14 - सरकार का सेवक।
🛑आईपीसी धारा 15 - ब्रिटिश इण्डिया की परिभाषा
🛑आईपीसी धारा 16 - गवर्नमेंट आफ इण्डिया की परिभाषा
🛑आईपीसी धारा 17 - सरकार।
🛑आईपीसी धारा 18 - भारत
🛑आईपीसी धारा 19 - न्यायाधीश।
🛑आईपीसी धारा 20 - न्यायालय
🛑आईपीसी धारा 21 - लोक सेवक
🛑आईपीसी धारा 22 - चल सम्पत्ति।
🛑आईपीसी धारा 23 - सदोष अभिलाभ / हानि।
🛑आईपीसी धारा 24 - बेईमानी करना।
🛑आईपीसी धारा 25 - कपटपूर्वक
🛑आईपीसी धारा 26 - विश्वास करने का कारण।
🛑आईपीसी धारा 27 - पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में सम्पत्ति।
🛑आईपीसी धारा 28 - कूटकरण।
🛑आईपीसी धारा 29 - दस्तावेज।
🛑आईपीसी धारा 30 - मूल्यवान प्रतिभूति।
🛑आईपीसी धारा 31 - बिल
🛑आईपीसी धारा 32 - कार्यों को दर्शाने वाले शब्दों के अन्तर्गत अवैध लोप शामिल है।
🛑आईपीसी धारा 33 - कार्य
🛑आईपीसी धारा 34 - सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य
🛑आईपीसी धारा 35 - जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है
🛑आईपीसी धारा 36 - अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम।
🛑आईपीसी धारा 37 - कई कार्यों में से किसी एक कार्य को करके अपराध गठित करने में सहयोग करना।
🛑आईपीसी धारा 38 - आपराधिक कार्य में संपॄक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे
🛑आईपीसी धारा 39 - स्वेच्छया।
🛑आईपीसी धारा 40 - अपराध।
🛑आईपीसी धारा 41 - विशेष विधि।
🛑आईपीसी धारा 42 - स्थानीय विधि
🛑आईपीसी धारा 43 - अवैध
🛑आईपीसी धारा 44 - क्षति
🛑आईपीसी धारा 45 - जीवन
🛑आईपीसी धारा 46 - मॄत्यु
🛑आईपीसी धारा 47 - जीवजन्तु
🛑आईपीसी धारा 48 - जलयान
🛑आईपीसी धारा 49 - वर्ष या मास
🛑आईपीसी धारा 50 - धारा
🛑आईपीसी धारा 51 - शपथ।
🛑आईपीसी धारा 52 - सद्भावपूर्वक।
🛑आईपीसी धारा 53 - दण्ड।
🛑आईपीसी धारा 54 - मॄत्यु दण्डादेश का रूपांतरण।
🛑आईपीसी धारा 55 - आजीवन कारावास के दण्डादेश का लघुकरण
🛑आईपीसी धारा 56 - य़ूरोपियों तथा अमरीकियों को दण्ड दासता की सजा।
🛑आईपीसी धारा 57 - दण्डावधियों की भिन्नें
🛑आईपीसी धारा 58 - निर्वासन से दण्डादिष्ट अपराधियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए जब तक वे निर्वासित न कर दिए जाएं
🛑आईपीसी धारा 59 - कारावास के बदले निर्वासनट
🛑आईपीसी धारा 60 - दण्डादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में सम्पूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा।
🛑आईपीसी धारा 61 - सम्पत्ति के समपहरण का दण्डादेश।
🛑आईपीसी धारा 62 - मॄत्यु, निर्वासन या कारावास से दण्डनीय अपराधियों की बाबत सम्पत्ति का समपहरण ।
🛑आईपीसी धारा 63 - आर्थिक दण्ड/जुर्माने की रकम।
🛑आईपीसी धारा 64 - जुर्माना न देने पर कारावास का दण्डादेश
🛑आईपीसी धारा 65 - जब कि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि
🛑आईपीसी धारा 66 - जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास दिया जाए।
🛑आईपीसी धारा 67 - आर्थिक दण्ड न चुकाने पर कारावास, जबकि अपराध केवल आर्थिक दण्ड से दण्डनीय हो।
🛑आईपीसी धारा 68 - आर्थिक दण्ड के भुगतान पर कारावास का समाप्त हो जाना।
🛑आईपीसी धारा 69 - जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिए जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
🛑आईपीसी धारा 70 - जुर्माने का छह वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान वसूल किया जाना। मॄत्यु सम्पत्ति को दायित्व से उन्मुक्त नहीं करती।
🛑आईपीसी धारा 71 - कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि।
🛑आईपीसी धारा 72 - कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिए दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
🛑आईपीसी धारा 73 - एकांत परिरोध
🛑आईपीसी धारा 74 - एकांत परिरोध की अवधि
🛑आईपीसी धारा 75 - पूर्व दोषसिद्धि के पश्चात् अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन कतिपय अपराधों के लिए वर्धित दण्ड
🛑आईपीसी धारा 76 - विधि द्वारा आबद्ध या तथ्य की भूल के कारण अपने आप के विधि द्वारा आबद्ध होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य।
🛑आईपीसी धारा 77 - न्यायिकतः कार्य करते हुए न्यायाधीश का कार्य
🛑आईपीसी धारा 78 - न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य
🛑आईपीसी धारा 79 - विधि द्वारा न्यायानुमत या तथ्य की भूल से अपने को विधि द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
🛑आईपीसी धारा 80 - विधिपूर्ण कार्य करने में दुर्घटना।
🛑आईपीसी धारा 81 - आपराधिक आशय के बिना और अन्य क्षति के निवारण के लिए किया गया कार्य जिससे क्षति कारित होना संभाव्य है।
🛑आईपीसी धारा 82 - सात वर्ष से कम आयु के शिशु का कार्य।
🛑आईपीसी धारा 83 - सात वर्ष से ऊपर किंतु बारह वर्ष से कम आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु का कार्य
🛑आईपीसी धारा 84 - विकॄतचित व्यक्ति का कार्य।
🛑आईपीसी धारा 85 - ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है
🛑आईपीसी धारा 86 - किसी व्यक्ति द्वारा, जो मत्तता में है, किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है
🛑आईपीसी धारा 87 - सम्मति से किया गया कार्य जिससे मॄत्यु या घोर उपहति कारित करने का आशय न हो और न उसकी संभाव्यता का ज्ञान हो
🛑आईपीसी धारा 88 - किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति से सद््भावपूर्वक किया गया कार्य जिससे मॄत्यु कारित करने का आशय नहीं है
🛑आईपीसी धारा 89 - संरक्षक द्वारा या उसकी सम्मति से शिशु या उन्मत्त व्यक्ति के फायदे के लिए सद््भावपूर्वक किया गया कार्य
🛑आईपीसी धारा 90 - सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है
🛑आईपीसी धारा 91 - ऐसे अपवादित कार्य जो कारित क्षति के बिना भी स्वतः अपराध है।
🛑आईपीसी धारा 92 - सहमति के बिना किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक किया गया कार्य।
🛑आईपीसी धारा 93 - सद्भावपूर्वक दी गई संसूचना
🛑आईपीसी धारा 94 - वह कार्य जिसको करने के लिए कोई व्यक्ति धमकियों द्वारा विवश किया गया है
🛑आईपीसी धारा 95 - तुच्छ अपहानि कारित करने वाला कार्य
🛑आईपीसी धारा 96 - प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातें
🛑आईपीसी धारा 97 - शरीर तथा संपत्ति की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार।
🛑आईपीसी धारा 98 - ऐसे व्यक्ति के कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकॄतचित्त आदि हो
🛑आईपीसी धारा 99 - कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है
🛑आईपीसी धारा 100 - किसी की मॄत्यु कारित करने पर शरीर की निजी प्रतिरक्षा का अधिकार कब लागू होता है।
🛑आईपीसी धारा 101 - मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने के अधिकार का विस्तार कब होता है।
🛑आईपीसी धारा 102 - शरीर की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना।
🛑आईपीसी धारा 103 - कब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मॄत्यु कारित करने तक का होता है
🛑आईपीसी धारा 104 - मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने तक के अधिकार का विस्तार कब होता है।
🛑आईपीसी धारा 105 - सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना
🛑आईपीसी धारा 106 - घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जब कि निर्दोष व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
🛑आईपीसी धारा 107 - किसी बात का दुष्प्रेरण
🛑आईपीसी धारा 108 - दुष्प्रेरक।
🛑आईपीसी धारा 108क - भारत से बाहर के अपराधों का भारत में दुष्प्रेरण
🛑आईपीसी धारा 109 - अपराध के लिए उकसाने के लिए दण्ड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए, और जहां कि उसके दण्ड के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
🛑आईपीसी धारा 110 - दुष्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है।
🛑आईपीसी धारा 111 - दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया है और उससे भिन्न कार्य किया गया है।
🛑आईपीसी धारा 112 - दुष्प्रेरक कब दुष्प्रेरित कार्य के लिए और किए गए कार्य के लिए आकलित दण्ड से दण्डनीय है
🛑आईपीसी धारा 113 - दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो।
🛑आईपीसी धारा 114 - अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति।
🛑आईपीसी धारा 115 - मॄत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण - यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता।
🛑आईपीसी धारा 116 - कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण - यदि अपराध न किया जाए।
🛑आईपीसी धारा 117 - सामान्य जन या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण।
🛑आईपीसी धारा 118 - मॄत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना
🛑आईपीसी धारा 119 - किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना का लोक सेवक द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण करना उसका कर्तव्य है
🛑आईपीसी धारा 120 - कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना।
🛑आईपीसी धारा 120क - आपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा
🛑आईपीसी धारा 120ख - आपराधिक षड्यंत्र का दंड
🛑आईपीसी धारा 121 - भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना या युद्ध करने का प्रयत्न करना या युद्ध करने का दुष्प्रेरण करना।
🛑आईपीसी धारा 121क - धारा 121 द्वारा दंडनीय अपराधों को करने का षड््यंत्र
🛑आईपीसी धारा 122 - भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने के आशय से आयुध आदि संग्रहित करना।
🛑आईपीसी धारा 123 - युद्ध करने की परिकल्पना को सुगम बनाने के आशय से छिपाना।
🛑आईपीसी धारा 124 - किसी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने के लिए विवश करने या उसका प्रयोग अवरोधित करने के आशय से राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि पर हमला करना
🛑आईपीसी धारा 124क - राजद्रोह
🛑आईपीसी धारा 125 - भारत सरकार से मैत्री संबंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरुद्ध युद्ध करना
🛑आईपीसी धारा 126 - भारत सरकार के साथ शांति का संबंध रखने वाली शक्ति के राज्यक्षेत्र में लूटपाट करना।
🛑आईपीसी धारा 127 - धारा 125 और 126 में वर्णित युद्ध या लूटपाट द्वारा ली गई सम्पत्ति प्राप्त करना।
🛑आईपीसी धारा 128 - लोक सेवक का स्वेच्छया राजकैदी या युद्धकैदी को निकल भागने देना।
🛑आईपीसी धारा 129 - लोक सेवक का उपेक्षा से किसी कैदी का निकल भागना सहन करना।
🛑आईपीसी धारा 130 - ऐसे कैदी के निकल भागने में सहायता देना, उसे छुड़ाना या संश्रय देना
🛑आईपीसी धारा 131 - विद्रोह का दुष्प्रेरण या किसी सैनिक, नौसेनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना
🛑आईपीसी धारा 132 - विद्रोह का दुष्प्रेरण यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए।
🛑आईपीसी धारा 133 - सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारी जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन में हो, पर हमले का दुष्प्रेरण।
🛑आईपीसी धारा 134 - हमले का दुष्प्रेरण जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए।
🛑 IPC धारा 135-200: सार्वजनिक अपराध और हिंसा
- धारा 135-150: दंगा, सार्वजनिक शांति भंग, सामूहिक हिंसा
- धारा 151-180: सशस्त्र समूह, हिंसा, धमकी, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान
- धारा 181-200: सामूहिक अपराध, आगजनी, लूट और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान
🛑 IPC धारा 201-300: हत्या, चोट और धोखाधड़ी
- धारा 201-210: अपराध को छिपाना, साक्ष्य नष्ट करना
- धारा 211-220: हत्या, हत्या का प्रयास
- धारा 221-250: चोट, अपहरण, मानवता के खिलाफ अपराध
- धारा 251-300: चोरी, डकैती, धोखाधड़ी, कूटकरण, आर्थिक अपराध
🛑 IPC धारा 301-400: संपत्ति और भ्रष्टाचार
- धारा 301-310: हत्या के विशेष मामले
- धारा 311-330: चोरी, डकैती, चोरी की तैयारी
- धारा 331-350: नकली नोट, जालसाजी, आर्थिक अपराध
- धारा 351-400: सरकारी संपत्ति का अपहरण, भ्रष्टाचार, आपराधिक षड्यंत्र
🛑 IPC धारा 401-511: अंतिम प्रावधान और संशोधन
- धारा 401-420: घातक अपराध, धोखाधड़ी, आर्थिक अपराध
- धारा 421-450: संपत्ति से संबंधित अपराध, डकैती, सरकारी संपत्ति का नुकसान
- धारा 451-500: सार्वजनिक अपराध, हिंसा, शांति भंग
- धारा 501-511: अंतिम संशोधन, दंड और विशेष प्रावधान
🔹 निष्कर्ष
भारतीय दंड संहिता (IPC) व्यापक, सुसंगठित और अद्यतन कानून है। यह अपराध और दंड, सरकारी अधिकार, निजी सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है। यह UPSC, SSC, LLB परीक्षा और कानून के छात्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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