मेरीटाइम ऑटोनोमस सरफेस शिप्स (MASS)
मेरीटाइम ऑटोनोमस सरफेस शिप्स (MASS) भविष्य की समुद्री परिवहन प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), उन्नत सेंसर प्रौद्योगिकी, और दूरस्थ नियंत्रण प्रणालियों के माध्यम से जहाजों के संचालन में मानवीय हस्तक्षेप को कम करने या समाप्त करने का लक्ष्य रखते हैं। भारत का प्रोजेक्ट 'स्वायत्त' इस दिशा में एक साहसिक कदम है, जिसका उद्देश्य देश का पहला MASS विकसित करना है। यह परियोजना इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) के नेतृत्व और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के सहयोग से संचालित की जा रही है।
MASS का अर्थ और वर्गीकरण :
MASS ऐसे जहाज हैं जो स्वायत्त नेविगेशन प्रणालियों के माध्यम से संचालित होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने स्वायत्तता के स्तर के आधार पर MASS को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:
- डिग्री 1: स्वचालित प्रक्रियाओं और निर्णय-सहायता प्रणालियों वाला पोत, जिसमें नाविक तैनात रहते हैं।
- डिग्री 2: दूर से नियंत्रित नाविक-युक्त पोत, जहाँ नाविक आपात स्थिति में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
- डिग्री 3: दूर से नियंत्रित नाविक-रहित पोत, जिसे पूरी तरह से एक दूरस्थ केंद्र से संचालित किया जाता है।
- डिग्री 4: पूरी तरह से स्वायत्त पोत, जो स्वयं निर्णय लेने और कार्य करने में सक्षम होता है।
भारत में MASS परियोजना: प्रोजेक्ट 'स्वायत्त' :
प्रोजेक्ट 'स्वायत्त' का उद्देश्य भारत की स्वदेशी स्वायत्त जहाज निर्माण क्षमता को बढ़ावा देना है। इसके मुख्य तत्व हैं:
- नेतृत्व: इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) तकनीकी मानकों और प्रमाणन के लिए जिम्मेदार है।
- सहयोग: कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) जहाज निर्माण और एकीकरण का कार्य कर रहा है।
- रणनीतिक महत्व: यह परियोजना सागरमाला परियोजना और मेक इन इंडिया जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों से जुड़ी हुई है।
वैश्विक संदर्भ में MASS :
वैश्विक स्तर पर MASS प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है। नॉर्वे का Yara Birkeland और जापान का MOL जैसे प्रोजेक्ट्स इसके उदाहरण हैं. IMO MASS कोड विकसित कर रहा है, जिसका लक्ष्य 2032 तक एक अनिवार्य नियामक ढांचा तैयार करना है।
MASS के लाभ :
- सुरक्षा में सुधार: मानवीय त्रुटियों को कम करके दुर्घटनाओं की संभावना को कम किया जा सकता है।
- परिचालन दक्षता: ईंधन की खपत को अनुकूलित करके और मार्गों को स्वचालित करके लागत कम की जा सकती है।
- पर्यावरणीय स्थिरता: उत्सर्जन और शोर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- मानव संसाधन का अनुकूलन: नाविकों को उच्च-स्तरीय निगरानी और नियंत्रण भूमिकाओं में स्थानांतरित किया जा सकता है।
चुनौतियाँ और समाधान :
- नियामक चुनौतियाँ: अंतर्राष्ट्रीय कानून (जैसे SOLAS, STCW) को MASS के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है।
- तकनीकी सीमाएँ: सेंसर प्रणालियों (LiDAR, रडार) की विश्वसनीयता और साइबर सुरक्षा एक चुनौती है।
- सामाजिक प्रभाव: नाविकों के रोजगार पर प्रभाव को कम करने के लिए पुनर्स्कीलिंग कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
- अनुसंधान और विकास: भारत को IRS और CSL के माध्यम से नई प्रौद्योगिकियों का विकास करना होगा।
भारत के लिए अगले कदम :
- नीति समर्थन: MASS के लिए एक राष्ट्रीय रोडमैप विकसित करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: IMO और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ साझेदारी बढ़ाना।
- उद्योग-शिक्षा संबंध: IITs और समुद्री संस्थानों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना।
- बुनियादी ढाँचा विकास: दूरस्थ नियंत्रण केंद्रों और डिजिटल बंदरगाह सुविधाओं का निर्माण करना।
निष्कर्ष :
प्रोजेक्ट 'स्वायत्त' भारत को वैश्विक स्वायत्त शिपिंग क्रांति का हिस्सा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण Initiative है। तकनीकी नवाचार, नियामक सहयोग और मानव संसाधन विकास के माध्यम से भारत MASS प्रौद्योगिकी में एक अग्रणी देश बन सकता है।
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