📰 संदर्भ
13 अक्टूबर 2025 को गाजा में चल रहे दो वर्ष पुराने इज़रायल–हमास युद्ध को समाप्त करने हेतु एक ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ।
👉 इस समझौते की मध्यस्थता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की।
👉 हमास ने बंधकों को रिहा किया और इज़रायल ने कैदियों को छोड़ा।
👉 इसके बाद मिस्र के शहर “शर्म अल-शेख” में गाजा शांति शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ और “गाजा घोषणा” पर हस्ताक्षर किए गए।
🏛️ गाजा शांति शिखर सम्मेलन — प्रमुख तथ्य
🌐 प्रमुख बिंदु
- “ट्रंप शांति योजना” के तहत:
- 10 अक्टूबर 2025 से युद्धविराम प्रभावी हुआ।
- मानवीय सहायता (भोजन, ईंधन, दवाइयाँ) की आपूर्ति शुरू।
- गाजा के लिए “Board of Peace” नामक अस्थायी प्रशासन का प्रस्ताव — ट्रंप और टोनी ब्लेयर (पूर्व ब्रिटिश पीएम) इसकी अगुवाई करेंगे।
- इज़रायल ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) की भूमिका अस्वीकार की।
🤝 सम्मेलन में भागीदार
- चार गारंटर देश:
- 🇺🇸 अमेरिका – डोनाल्ड ट्रंप
- 🇪🇬 मिस्र – अब्देल फत्ताह अल-सीसी
- 🇶🇦 कतर – अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी
- 🇹🇷 तुर्की – राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन
- अन्य 20 देशों के नेता भी शामिल।
- इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और हमास प्रतिनिधि अनुपस्थित रहे।
- 🇮🇳 भारत का प्रतिनिधित्व विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने किया।
📝 मुख्य परिणाम
- 1. 🕊 युद्धविराम
- 10 अक्टूबर 2025 से लागू
- ट्रंप ने कहा — “असंभव को संभव बनाया गया”।
- 2. 🧍♂️ बंधक रिहाई
- हमास ने आख़िरी 20 जीवित बंधकों को छोड़ा।
- कुल 251 बंधक 7 अक्टूबर 2023 के हमले में पकड़े गए थे; 47 शेष थे।
- बदले में इज़रायल ने 1,968 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ा (250 सुरक्षा + 1,700 युद्ध कैदी)।
- हमास ने 27 मृत बंधकों व 2014 के एक सैनिक के अवशेष लौटाने पर सहमति दी।
- 3. 🏗 मानवीय सहायता व पुनर्निर्माण
- गाजा में तत्काल राहत आपूर्ति शुरू।
- विश्व बैंक का अनुमान: पुनर्निर्माण हेतु 53 अरब डॉलर की आवश्यकता।
- 4. 📜 गाजा घोषणा
- नाम: “Trump Declaration for Enduring Peace and Prosperity”
- हस्ताक्षर: ट्रंप, अल-सीसी, कतर अमीर, एर्दोगन
- विशेषता: प्रतीकात्मक + बाध्यकारी दस्तावेज़ → युद्धविराम को मज़बूती देता है।
🇮🇳 भारत का दृष्टिकोण
- संतुलित रुख अपनाया:
- UN प्रस्तावों पर मतदान से परहेज
- बंधक रिहाई व युद्धविराम का समर्थन
- जुलाई 2025 में UNSC में भारत ने कहा: गाजा में मानवीय संकट चिंताजनक है, समाधान के लिए युद्धविराम व बंधक रिहाई आवश्यक।
- भारत पारंपरिक रूप से द्वि-राज्य समाधान का समर्थक है।
- 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता दी थी।
- फिलिस्तीन को भारत मानवीय सहायता प्रदान करता रहा है।
- वर्तमान में फिलिस्तीन UN का पर्यवेक्षक सदस्य है, पूर्ण सदस्य नहीं।
⚠️ मुख्य चुनौतियाँ
- हमास का निरस्त्रीकरण से इनकार → युद्धविराम अस्थिर।
- इज़रायल की पूर्ण वापसी पर असहमति → गाजा प्रशासन का भविष्य अनिश्चित।
- शासन व्यवस्था पर मतभेद — PA की भूमिका विवादित।
- पुनर्निर्माण में भारी लागत ($53 अरब) और संसाधन जुटाना।
- तुर्की आदि देशों की राजनीतिक भूमिका — हमास नेताओं को शरण।
- मानवीय संकट — हजारों फिलिस्तीनी व 1,219 इज़रायली मारे गए; सहायता वितरण कठिन।
🧭 आगे की राह
- 🏗 पुनर्निर्माण व शासन पर स्पष्ट वार्ता — Board of Peace या किसी निष्पक्ष निकाय के तहत।
- 🚪 सीमाओं से मानवीय आपूर्ति — भोजन, दवा, ईंधन की निर्बाध पहुँच।
- 🌍 फिलिस्तीनी राज्य निर्माण पर वैश्विक दबाव — भारत जैसे देशों की सक्रिय भूमिका।
- 🤝 मध्यस्थ देशों (मिस्र, कतर) की भूमिका सशक्त करना।
- 🇮🇳 भारत की संभावित भूमिका — निर्माण, तकनीकी सहायता, आर्थिक सहयोग → “शांति 2025” में योगदान।
📝 परीक्षा हेतु संभावित प्रश्न
🟠 Prelims
- “Trump Declaration for Enduring Peace and Prosperity” किस क्षेत्र से संबंधित है?
- गाजा शांति शिखर सम्मेलन कहाँ आयोजित हुआ था?
- गाजा पुनर्निर्माण के लिए विश्व बैंक द्वारा अनुमानित लागत क्या है?
🟡 Mains (GS Paper-2)
“गाजा शांति समझौता 2025 मध्य पूर्व में स्थायी शांति की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ है, परंतु इसकी सफलता कई राजनीतिक और सुरक्षा चुनौतियों पर निर्भर करेगी।” — विश्लेषण कीजिए।
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