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सर्वोच्च न्यायालय का सरोगेसी अधिनियम 2021 पर निर्णय | SC Verdict

सर्वोच्च न्यायालय का सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 पर निर्णय 

1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)

संदर्भ + पृष्ठभूमि (Context + Background)

सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत निर्धारित आयु सीमा उन युगलों पर लागू नहीं होगी जिन्होंने कानून लागू होने से पहले अपनी प्रजनन प्रक्रिया शुरू की थी। यह विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्होंने 2022 से पहले भ्रूण को फ्रीज किया था।

फैसले की पृष्ठभूमि

  • तीन दंपतियों ने यह याचिका दायर की कि वे 2021 के कानून लागू होने से पहले प्रक्रिया में शामिल थे।
  • अधिनियम की धारा 4(iii)(c)(I) के अनुसार आयु सीमा:
    • महिला: 23–50 वर्ष
    • पुरुष: 26–55 वर्ष
  • दंपतियों का तर्क: पहले से फ्रीज किए गए भ्रूण और प्रक्रिया शुरू करने के कारण आयु सीमा लागू नहीं होनी चाहिए।

न्यायमूर्ति नागरत्ना की टिप्पणी

  • कानून का पूर्वव्यापी प्रभाव उन युगलों पर नहीं होना चाहिए जिन्होंने पहले से प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
  • सरोगेसी का उद्देश्य चिकित्सा कारणों से असमर्थ दंपतियों की सहायता करना है।
  • गोद लेने में आयु सीमा नहीं है, तो सरोगेसी में भी अनावश्यक प्रतिबंध क्यों?
  • अनुच्छेद 21: प्रजनन स्वायत्तता का अधिकार संरक्षित।

राज्य एवं केंद्र सरकार का तर्क

  • आयु सीमा बच्चों और सरोगेट माँ एवं इच्छुक माता-पिता की सुरक्षा के लिए।
  • चिकित्सा विशेषज्ञता और प्राकृतिक प्रजनन क्षमता पर आधारित।
  • न्यायालय ने यह तर्क खारिज किया, कहा कि प्रक्रिया शुरू करने वाले दंपति की पालन-पोषण क्षमता पर राज्य सवाल नहीं उठा सकता।

पूर्वव्यापी प्रभाव और भविष्य की राह

  • पहले फ्रीज किए गए भ्रूणों के लिए प्रक्रिया जारी रखने का अधिकार।
  • समान परिस्थितियों वाले अन्य दंपतियों के लिए उच्च न्यायालय में राहत का रास्ता खुला।
  • यह फैसला सरोगेसी और सहायक प्रजनन कानूनों के लागू नियमों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन का मार्गदर्शन करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • यह निर्णय प्रजनन स्वायत्तता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को मजबूत करता है।
  • कानून का नया प्रावधान तभी पूर्वव्यापी रूप से लागू हो सकता है जब वह मौजूदा कानूनी ढांचे के अनुरूप हो।
  • सरोगेसी और सहायक प्रजनन के क्षेत्र में यह एक मील का पत्थर है।


2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance)

  • GS Paper II: Governance, Personal Laws, Fundamental Rights, Judiciary
  • GS Paper III: Science & Technology (Medical & Biotech Regulation), Ethical Issues
  • Essay / Optional: Ethics, Society, Governance, Health & Medicine

Keywords & Dimensions:

  • सरोगेसी (Surrogacy)
  • सहायक प्रजनन (Assisted Reproductive Technology)
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty)
  • प्रजनन स्वायत्तता (Reproductive Autonomy)
  • पूर्वव्यापी प्रभाव (Retrospective Application)
  • अनुच्छेद 21 (Article 21)


3. यूपीएससी पिछले वर्ष के प्रश्न (Previous Year Questions)

Related Prelims PYQ

  • 2023: “सरोगेसी और ART नियमों में कौन-कौन से प्रावधान हैं?”
  • 2024: “भारत में प्रजनन स्वायत्तता और कानून का संबंध क्या है?”

Related Mains PYQ

  • 2022: “व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सरकारी विनियम के बीच संतुलन पर चर्चा करें।”
  • 2023: “सरोगेसी अधिनियम के लागू होने से पहले प्रारंभ हुई प्रक्रियाओं पर कानून का प्रभाव कैसा होना चाहिए?”

संभावित प्रश्न भविष्य के लिए (Expected Questions)

  • सरोगेसी और ART में व्यक्तिगत अधिकार बनाम राज्य विनियमन।
  • पूर्वव्यापी कानून के प्रावधान और न्यायिक दृष्टिकोण।
  • अनुच्छेद 21 के तहत प्रजनन स्वायत्तता।


4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)

Q. सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले के संदर्भ में सरोगेसी अधिनियम, 2021 और प्रजनन स्वायत्तता के महत्व पर चर्चा कीजिए। (10/15 marks)

👉 मॉडल उत्तर संरचना

परिचय (Introduction):
सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सरोगेसी अधिनियम, 2021 की आयु सीमा उन दंपतियों पर लागू नहीं होगी जिन्होंने कानून लागू होने से पहले प्रक्रिया शुरू की थी। यह निर्णय प्रजनन स्वायत्तता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है।

मुख्य भाग (Body):

  • महत्त्व:
    • व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रजनन स्वायत्तता का संरक्षण।
    • पूर्वव्यापी कानून का न्यायसंगत सीमित प्रयोग।
  • चुनौतियाँ:
    • आयु सीमा और बच्चों की सुरक्षा में संतुलन।
    • सरोगेसी प्रक्रिया में चिकित्सा सुरक्षा और नैतिक प्रश्न।
  • उदाहरण / केस स्टडी:
    • तीन दंपतियों की याचिकाएँ और न्यायालय का फैसला।
    • पूर्व से फ्रीज किए गए भ्रूणों के लिए अधिकार सुनिश्चित।

निष्कर्ष (Conclusion):
यह निर्णय कानून और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करता है। सरकार और न्यायपालिका को सुनिश्चित करना होगा कि नियम केवल सुधारात्मक हों और मौलिक अधिकारों को सीमित न करें।


5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)

  • सरोगेसी (Surrogacy): किसी महिला के गर्भ में भ्रूण के विकास की अनुमति देना, जिसे इच्छुक माता-पिता ग्रहण करेंगे।
  • सहायक प्रजनन (ART): IVF, IUI जैसे प्रजनन तकनीक।
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty): संविधान द्वारा संरक्षित अधिकार।
  • पूर्वव्यापी प्रभाव (Retrospective Application): कानून का पिछली घटनाओं पर प्रभाव।
  • प्रजनन स्वायत्तता (Reproductive Autonomy): किसी व्यक्ति का अपने प्रजनन विकल्प चुनने का अधिकार।

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