2025 में भारत में रिकॉर्ड मानसूनी वर्षा: अवसर और चुनौतियाँ
(Monsoon 2025 in India: Record Rainfall, Opportunities and Challenges)
📝 1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)
📌 संदर्भ एवं पृष्ठभूमि (Context & Background)
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में देश को सामान्य से 8% अधिक मानसूनी वर्षा प्राप्त हुई — जो 2001 के बाद पाँचवाँ सर्वाधिक आँकड़ा है। यह स्थिति एक ओर जहाँ कृषि एवं जलस्रोतों के लिए शुभ संकेत है, वहीं बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी जन्म देती है।
- मानसून अवधि: 1 जून – 30 सितंबर, 2025
- कुल औसत वर्षा: 93.7 सेमी (Normal से 8% अधिक)
- उत्तर-पश्चिम भारत: 27% अधिक (74.79 सेमी)
- पूर्वोत्तर भारत: केवल 80% (108.9 सेमी; 1901 के बाद दूसरा न्यूनतम)
मानसून की समयरेखा (Timeline):
- 13 मई – अंडमान-निकोबार में आगमन
- 24 मई – केरल में आगमन
- 29 जून – पूरे देश में फैलाव (सामान्य तिथि से पहले)
🌦️ अधिक वर्षा के प्रमुख कारण (Causes of Excess Rainfall)
- भूमध्यसागरीय तूफानों का प्रभाव – मानसूनी धाराओं से जुड़ने पर व्यापक वर्षा।
- 7 मानसूनी डिप्रेशन – अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सक्रियता।
- 1 गहरा डिप्रेशन – 69 दिनों तक सक्रिय (औसत 55 दिन से अधिक)।
- जलवायु घटनाएँ – La Niña जैसी महासागरीय असामान्यताओं ने मानसून को बढ़ावा दिया।
⚠️ मुद्दे एवं चुनौतियाँ (Issues & Challenges)
- क्षेत्रीय असमानता
- उत्तर-पश्चिम में भारी वर्षा बनाम पूर्वोत्तर में न्यूनतम वर्षा।
- बाढ़ प्रबंधन की कमी
- नदियों का उफान, शहरों में जल निकासी तंत्र की विफलता।
- कृषि जोखिम
- कुछ इलाकों में अत्यधिक वर्षा से फसलें चौपट।
जलवायु अनिश्चितता
- मानसूनी पैटर्न का पूर्वानुमान कठिन होता जा रहा है।
बुनियादी ढाँचे पर दबाव
- सड़कों, पुलों, घरों, विद्युत व परिवहन सेवाओं पर दबाव।
🌍 राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National + International Impact)
🇮🇳 राष्ट्रीय प्रभाव (National Impact)
- लघुकालिक (Short Term)
- उत्तर भारत में बाढ़, भूस्खलन, जान-माल की हानि
- शहरी जलभराव, यातायात एवं बिजली सेवाओं में बाधा
- दीर्घकालिक (Long Term)
- कृषि उत्पादन में संभावित वृद्धि
- सिंचाई व जलाशय क्षमता में सुधार
- भूजल पुनर्भरण में लाभ
🌐 अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (International Impact)
- La Niña जैसी वैश्विक जलवायु घटनाएँ भारत के मानसून को प्रभावित करती हैं।
- दक्षिण एशिया के अन्य देशों (नेपाल, बांग्लादेश) में भी बाढ़ व मौसम असंतुलन की स्थिति बनी।
- भारत के कृषि उत्पादन में बदलाव का असर वैश्विक खाद्य कीमतों पर पड़ सकता है।
🛤️ आगे का रास्ता / समाधान (Way Forward / Solutions)
- क्षेत्रीय जल प्रबंधन
- अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों के जल का दोहन कर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पहुँचाना।
- बाढ़ व आपदा प्रबंधन
- शहरी जल निकासी सुधार, नदी तटबंधों की मज़बूती।
- स्मार्ट कृषि रणनीतियाँ
- फसल पैटर्न में बदलाव, मानसून आधारित वैज्ञानिक योजना।
- जलवायु अनुकूलन रणनीतियाँ
- IPCC की रिपोर्टों के आधार पर दीर्घकालिक नीतियाँ बनाना।
- तकनीकी समाधान
- उन्नत पूर्वानुमान मॉडल, GIS आधारित बाढ़ चेतावनी प्रणाली।
🧭 2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance)
📌 कीवर्ड्स एवं आयाम (Keywords & Dimensions)
- Environment & Climate – मानसून परिवर्तन, चरम मौसम
- Disaster Management – बाढ़, जल निकासी
- Agriculture & Economy – फसल उत्पादन, जल प्रबंधन
- Governance – नीति निर्माण, पूर्वानुमान प्रणाली, अनुकूलन रणनीतियाँ
📚 3. UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)
📝 Prelims PYQ
(2019) – “La Niña घटना भारत के मानसून को कैसे प्रभावित करती है?”
(2020) – “भारत में मानसून की प्रगति के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा कथन सही है?”
✍️ Mains PYQ
GS Paper I (2015) – “Indian monsoon has been exhibiting extreme behavior in recent years. Discuss.”
GS Paper III (2021) – “India’s vulnerability to floods is increasing due to both natural and man-made causes. Examine.”
🔮 संभावित प्रश्न (Expected Possible Questions)
- “2025 की रिकॉर्ड मानसूनी वर्षा भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियाँ दोनों प्रस्तुत करती है। विवेचना कीजिए।”
- “मानसूनी वर्षा के क्षेत्रीय असंतुलन के क्या कारण हैं और नीति निर्माण में इसे कैसे शामिल किया जा सकता है?”
✍️ 4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)
Q. “2025 में सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा ने भारत के लिए एक ओर अवसर, तो दूसरी ओर गंभीर चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं। विवेचना कीजिए।” (15 Marks)
📌 मॉडल उत्तर संरचना (Model Answer Structure)
परिचय (Introduction)
- भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून 70% वर्षा लाता है। वर्ष 2025 में IMD के अनुसार 8% अधिक वर्षा हुई — यह 2001 के बाद का सबसे अधिक आँकड़ा है।
मुख्य भाग (Body)
- अवसर: कृषि उत्पादन, जलाशय पुनर्भरण, सिंचाई सुधार
- चुनौतियाँ: क्षेत्रीय असमानता, बाढ़ प्रबंधन, फसल क्षति, अवसंरचनात्मक दबाव
- कारण: भूमध्यसागरीय तूफान, डिप्रेशन, La Niña, जलवायु परिवर्तन
- राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: वैश्विक घटनाओं का स्थानीय प्रभाव
निष्कर्ष (Conclusion)
- मानसूनी वर्षा भारत की जल-जीवन रेखा है, परंतु बदलते जलवायु पैटर्न इसे अप्रत्याशित बना रहे हैं।
- नीति, तकनीक और समुदाय-आधारित प्रबंधन से इसे अवसर में बदला जा सकता है।
🧠 5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)
- La Niña: प्रशांत महासागर के मध्य व पूर्वी भाग में समुद्र सतह तापमान में कमी, जिससे भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होती है।
- Monsoon Depression: निम्न दबाव क्षेत्र जो बंगाल की खाड़ी/अरब सागर में बनते हैं और व्यापक वर्षा लाते हैं।
- Regional Rainfall Variability: देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा की मात्रा में भिन्नता।
📎 6. References (Click to open)
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