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भारत 2047 तक 100 GW परमाणु ऊर्जा लक्ष्य हेतु निजी निवेश की योजना

मुख्य समाचार:

भारत 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश पर विचार कर रहा है। यह कदम देश की बढ़ती ऊर्जा माँग को पूरा करने और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।


वर्तमान स्थिति और कानूनी बाधाएँ:

  • अब तक भारत में परमाणु संयंत्रों का निर्माण और संचालन केवल सरकारी संस्थाएँ करती हैं:
    • NPCIL (Nuclear Power Corporation of India Limited)
    • BHAVINI (Bharatiya Nabhikiya Vidyut Nigam Limited)
    • NPCIL-NTPC संयुक्त उद्यम (ASHWINI)
  • कानूनी चुनौती:
    • परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (2010) में विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर असीमित दायित्व थोपे जाते हैं।
    • यह प्रावधान निजी निवेश के लिए जोखिम बढ़ाता है और अंतर्राष्ट्रीय मानकों (जैसे CSC – Convention on Supplementary Compensation) के अनुरूप नहीं है।
    • सरकार इन कानूनों में संशोधन करके निजी निवेश आकर्षित करना चाहती है।

निजी भागीदारी के लाभ:

  1. ऊर्जा क्षमता में तेजी:

    • निजी पूंजी से परियोजनाओं का निर्माण तेज होगा।
    • परमाणु ऊर्जा स्थिर बेसलोड बिजली स्रोत प्रदान करती है, जो नवीकरणीय ऊर्जा की अनिश्चितता को संतुलित करता है।

  1. वित्तीय दक्षता और नवाचार:

    • निजी कंपनियाँ बेहतर प्रबंधन और परिचालन दक्षता लाती हैं।
    • उन्नत तकनीकों जैसे HTGRs और MSRs में निवेश बढ़ेगा।

  1. थोरियम चक्र का विकास:

    • भारत के प्रचुर थोरियम संसाधनों का व्यावसायीकरण तेज होगा।
    • दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी।


भागीदारी का मॉडल और नई प्रौद्योगिकियाँ:

  • मॉडल:
    • निजी संस्थाएँ: भूमि, शीतलन जल और पूंजी उपलब्ध कराएँगी।
    • NPCIL: डिज़ाइन, गुणवत्ता आश्वासन, संचालन और रखरखाव।
  • भारत लघु रिएक्टर (BSR):
    • 220 मेगावाट दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR)
    • कम भूमि क्षेत्र में स्थापित और औद्योगिक इकाइयों के पास कैप्टिव पावर प्लांट के रूप में
  • भविष्य की तकनीकें:
    • लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs)
    • HTGRs (हाइड्रोजन सह-उत्पादन के लिए)
    • MSRs (थोरियम उपयोग के लिए)

मुख्य चुनौतियाँ:

  1. सुरक्षा और नियामक निरीक्षण:

    • AERB को निजी संस्थाओं द्वारा सुरक्षा चूक को रोकने के लिए कड़े निरीक्षण मानक लागू करने होंगे।

  1. कानूनी जवाबदेही:

    • दुर्घटना की स्थिति में निजी ऑपरेटरों की वित्तीय और कानूनी जिम्मेदारी स्पष्ट करनी होगी।
    • परमाणु अपशिष्ट और प्रयुक्त ईंधन का प्रबंधन निजी क्षेत्र करेगा या सरकारी संस्थाएँ, यह तय करना ज़रूरी।

  1. सार्वजनिक विश्वास:

    • परमाणु दुर्घटनाओं के इतिहास के कारण जनता का विश्वास जीतना चुनौतीपूर्ण।
    • पारदर्शिता और संवाद बनाए रखना आवश्यक।


निष्कर्ष:

  • निजी निवेश से भारत के 2047 के ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
  • यह कदम वित्तीय दक्षता, नवाचार और उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान देगा।
  • इसके लिए सरकार को कानूनी सुधार, सख्त नियामक ढांचा और सुरक्षा-अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा।

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