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बथुकम्मा महोत्सव | Bathukamma Festival, तेलंगाना की सांस्कृतिक धरोहर

बथुकम्मा महोत्सव (Bathukamma Festival)

तेलंगाना राज्य सरकार द्वारा आयोजित बथुकम्मा महोत्सव ने हाल ही में दो नए गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किए हैं और इसे अब तेलंगाना राज्य उत्सव के रूप में मान्यता प्राप्त है।

महोत्सव का महत्व

बथुकम्मा एक पारंपरिक पुष्प महोत्सव है, जिसे मुख्य रूप से तेलंगाना की महिलाएँ बड़े उत्साह के साथ मनाती हैं। ‘बथुकम्मा’ का शाब्दिक अर्थ है ‘देवी माँ का जीवित स्वरूप’, जो स्रैण ऊर्जा, सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।

लोककथाओं के अनुसार यह महोत्सव देवी गौरी, उनके चमत्कारी अस्तित्व और चोल वंश के राजा धरमंगद व रानी सत्यवती से जुड़ी कहानियों से प्रेरित है।

इतिहास में, काकतीय राजवंश ने बथुकम्मा को स्त्री शक्ति और कृषि समृद्धि के प्रतीक के रूप में महत्व दिया था।

उत्सव का समय और आयोजन

बथुकम्मा महोत्सव प्रतिवर्ष सितंबर-अक्टूबर में मनाया जाता है, जो दुर्गा नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक चलता है।

  • नौवें दिन का समापन 'सद्दुला बथुकम्मा' या 'पेड्डा बथुकम्मा' के रूप में होता है।
  • इसके बाद आता है बोड्डेम्मा, जो सात दिनों तक मनाया जाने वाला उत्सव है।

उत्सव की विशेषताएँ

  • महिलाएँ रंग-बिरंगे फूलों से बने सजावटी ढेर बनाती हैं, जिन्हें बथुकम्मा कहा जाता है।
  • ये फूल विशेष रूप से सारस, चम्पा, गुलाब, हिबिस्कस आदि से बनते हैं।
  • महिलाएँ बथुकम्मा को उठाकर मंडली में रखती हैं और इसके चारों ओर घूम-घूम कर गीत गाती हैं।

अतिरिक्त तथ्य

  • हाल के वर्षों में बथुकम्मा महोत्सव ने सामाजिक एकता को भी बढ़ावा दिया है, क्योंकि इसमें महिलाएँ और पुरुष दोनों सांस्कृतिक कार्यक्रमों और नृत्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं।
  • बथुकम्मा का महत्व केवल धार्मिक नहीं है; यह स्थानीय आर्थिक गतिविधियों जैसे फूलों की खेती और हस्तशिल्प उद्योग को भी प्रोत्साहित करता है।

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