भारत में मृतक अंगदान की दर में कमी: ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन की चुनौतियाँ एवं समाधान
(Deceased Organ Donation in India: Certification Gaps & Way Forward)
1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)
📝 संदर्भ + पृष्ठभूमि (Context + Background)
भारत में मृतकों के अंगदान की दर विश्व में सबसे कम है। प्रति वर्ष लगभग 1.6 लाख सड़क दुर्घटनाओं में मौतें होने के बावजूद, मृतक अंगदान केवल 1000–1200 के बीच सीमित रहता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रमुख कारण ICU में होने वाली ब्रेन डेड घटनाओं का कानूनी प्रमाणन न होना है — जिसे ‘मूक मृत्यु (Silent Death)’ कहा जाता है।
👉 यह अंतर न केवल स्वास्थ्य अवसंरचना की खामियों को दर्शाता है बल्कि भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र में एक महत्वपूर्ण नीति-कार्यान्वयन गैप को भी उजागर करता है।
🚨 मुद्दे / चुनौतियाँ (Issues / Challenges)
1. ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन में कमी
- ICU में अधिकांश ब्रेन डेड घटनाएँ कानूनी रूप से प्रमाणित नहीं हो पातीं।
- प्रमाणन में देरी से अंगदान का “Golden Window” समाप्त हो जाता है।
2. संस्थागत व प्रशिक्षण संबंधी कमियाँ
- केवल 10% चिकित्सक ही नियमित रूप से रेजिडेंट्स को ब्रेन डेड प्रमाणन की प्रक्रिया सिखाते हैं।
- कई अस्पतालों में अंग संरक्षण हेतु समर्पित ICU सुविधाएँ या प्रशिक्षित अंगदान समन्वयक (Organ Transplant Coordinators) नहीं हैं।
3. सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ
- ‘ब्रेन डेड’ की अवधारणा कोमॉ/मृत्यु से भ्रमित होती है।
- धार्मिक/सांस्कृतिक मिथक जैसे “अगले जन्म में शरीर अधूरा रहेगा” परिवार की सहमति को प्रभावित करते हैं।
4. कानूनी व प्रशासनिक बाधाएँ
- THOTA अधिनियम के बावजूद अवैध व्यापार की घटनाएँ भरोसे को कमजोर करती हैं।
- राज्यों में अंगदान की दर और नियमों के कार्यान्वयन में भारी असमानता है।
- अंग आवंटन में पारदर्शिता व समन्वय की कमी एक बड़ा मुद्दा है।
🌐 राष्ट्रीय + अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National + International Impact)
🇮🇳 राष्ट्रीय स्तर पर
- 1.8 लाख से अधिक मरीज अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं, पर दाताओं की संख्या नगण्य है।
- स्वास्थ्य अवसंरचना पर बढ़ता दबाव और सामाजिक अविश्वास।
🌍 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
- विकसित देशों (जैसे स्पेन, USA) में मृतक अंगदान की दर 20–35 प्रति मिलियन जनसंख्या (pmp) है।
- भारत में यह दर 0.65 pmp के आसपास है — जो वैश्विक औसत से बहुत कम है।
- भारत वैश्विक Organ Donation Network में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन सकता है यदि प्रक्रियाओं को मजबूत किया जाए।
🛣️ आगे का रास्ता / समाधान (Way Forward / Solutions)
1. ब्रेन डेड प्रमाणन को अनिवार्य व त्वरित बनाना
- ICU में कानूनी प्रमाणन के लिए एक समान राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित कर सभी अस्पतालों में लागू करना।
- प्रक्रियात्मक “ग्रीन कॉरिडोर्स” बनाकर प्रमाणन से प्रत्यारोपण तक की प्रक्रिया को तेज़ करना।
2. प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण
- मेडिकल कॉलेजों में ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन का अनिवार्य मॉड्यूल शामिल करना।
- गहन चिकित्सा विशेषज्ञों व ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स के लिए नियमित वर्कशॉप्स व CME कार्यक्रम।
3. सामाजिक जागरूकता अभियान
- जनता को ‘ब्रेन डेड बनाम कोमा’ का स्पष्ट अंतर समझाना।
- धार्मिक नेताओं व सामुदायिक संगठनों को शामिल करके मिथकों का निराकरण।
4. कानूनी सुधार व पारदर्शिता
- THOTA के प्रावधानों का सख्त पालन व अवैध व्यापार पर निगरानी।
- NOTTO के तहत रियल-टाइम डिजिटल आवंटन प्रणाली को सशक्त बनाना।
📊 Extra Data / Reports / Case Studies
- तमिलनाडु मॉडल: राज्य ने 2008 के बाद सक्रिय समन्वय और अस्पताल-स्तरीय प्रोटोकॉल के माध्यम से मृतक अंगदान की दर को 1.8 pmp से बढ़ाकर 14 pmp तक पहुँचा दिया।
- स्पेन मॉडल: समर्पित ICU समन्वयक और कानूनी प्रोटोकॉल के सख्त पालन से विश्व की सर्वोच्च मृतक अंगदान दर (~35 pmp)।
2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance)
3. UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)
📝 Prelims PYQ
2019 – "‘NOTTO’ का संबंध निम्न में से किस क्षेत्र से है?"
(a) Atomic Energy
(b) Organ & Tissue Transplant
(c) Nanotechnology
(d) Artificial Intelligence
✅ उत्तर: (b)
📝 Mains PYQ
GS Paper II – 2018
"Public health system in India suffers from multiple challenges ranging from infrastructure gaps to administrative inefficiencies. Discuss."
✍️ संभावित प्रश्न भविष्य के लिए (Expected Questions)
“भारत में मृतक अंगदान की कम दर का मुख्य कारण सामाजिक जागरूकता की कमी नहीं बल्कि ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन व प्रशासनिक प्रक्रियाओं की अक्षमता है।” विश्लेषण कीजिए। (GS II/III – 15 Marks)
4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)
Q. “भारत में मृतक अंगदान की दर को बढ़ाने में ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को मजबूत करना एक प्रमुख आवश्यकता है।” चर्चा कीजिए। (15 Marks)
🪄 मॉडल उत्तर संरचना
परिचय
भारत में मृतक अंगदान की दर वैश्विक औसत से काफी कम है। इसका एक प्रमुख कारण ICU में ब्रेन डेड प्रमाणन की प्रक्रियागत विफलता है।
मुख्य भाग
- ब्रेन डेड सर्टिफिकेशन में देरी व कानूनी अस्पष्टता
- संस्थागत व प्रशिक्षण की कमी
- सामाजिक मिथक और परिवार की अनिच्छा
- कानूनी व पारदर्शिता संबंधी मुद्दे
- केस स्टडी: तमिलनाडु मॉडल
निष्कर्ष
भारत में THOTA अधिनियम व कानूनी ढाँचा मौजूद है, पर इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रोटोकॉल, प्रशिक्षण और समन्वय तंत्र को मज़बूत करना अनिवार्य है। तभी देश अपनी विशाल जनसंख्या को जीवनदान का अवसर दे सकेगा।
5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)
- ब्रेन डेड (Brain Death): मस्तिष्क की सभी गतिविधियों का स्थायी रूप से समाप्त होना जबकि कृत्रिम सहारे से हृदय धड़कता रहे।
- Silent Death: ICU में ब्रेन डेड होने के बावजूद कानूनी प्रमाणन न होने की स्थिति।
- THOTA (1994): मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, जो अंग व्यापार पर रोक और ब्रेन डेड की कानूनी परिभाषा निर्धारित करता है।
- NOTTO: National Organ and Tissue Transplant Organization – अंगों के आवंटन व समन्वय की राष्ट्रीय एजेंसी।
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