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वैश्विक लोकतंत्र की स्थिति | चुनाव वैधता और जनता का विश्वास

लोकतंत्र की वैश्विक स्थिति:- चुनावों की वैधता और जनता का विश्वास

📝 मुख्य तथ्य

  • जारी करने वाली संस्था: International IDEA (International Institute for Democracy and Electoral Assistance)

  • रिपोर्ट का शीर्षक: “Strengthening the Legitimacy of Elections in a Time of Radical Uncertainty”

  • वर्ष: 2024

  • फोकस: वैश्विक लोकतंत्र की स्थिति और चुनावों की वैधता पर बढ़ते खतरे


🌍 लोकतंत्र के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

  1. मतदाता भागीदारी में गिरावट

    • विश्व स्तर पर भागीदारी 65.2% → 55.5% (15 वर्षों में कमी)।

    • कारण: विवादास्पद चुनाव, राजनीतिक अस्थिरता, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अविश्वास।

  2. चुनाव की सत्यनिष्ठा पर खतरा

    • 39 देशों के Credible Elections Index में गिरावट।

    • 38 देशों में सरकारी धमकी, 33 में अनियमितताएँ।

  3. लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट

    • 47% देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों में कमी (2023)।

    • प्रेस स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति, न्यायपालिका पर दबाव।

  4. नागरिक स्वतंत्रताओं पर खतरा

    • अफगानिस्तान, म्यांमार, बेलारूस आदि में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में तीव्र गिरावट।

    • यूरोप में भी (जैसे इटली, स्लोवाकिया) मीडिया पर दबाव बढ़ा।

  5. डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग

    • डीपफेक, गलत सूचना, जासूसी सॉफ्टवेयर से मतदाताओं का भरोसा कमजोर।

    • यूरोप में राजनेताओं व पत्रकारों पर निगरानी बढ़ी।

  6. जनता के विश्वास में कमी

    • ब्राजील, अमेरिका, फ्रांस, भारत में गलत नैरेटिव व ध्रुवीकरण से संस्थाओं में भरोसा घटा।


🧭 विश्वास और वैधता बढ़ाने के उपाय

  • जनता की राय को शामिल करना — पारदर्शी संवाद और जनभागीदारी से सुधार।

  • 🛡 डिजिटल सुरक्षा उपाय — AI रेगुलेशन, सोशल मीडिया जवाबदेही, डेटा सुरक्षा कानून।

    • उदाहरण: EU Digital Services Act, Brazil का Marco Civil, Canada का Digital Charter

  • 📢 जागरूकता अभियान — EMBs, स्कूल, मीडिया के ज़रिए मतदाताओं को शिक्षित करना।

    • उदाहरण: फिलीपींस का संवाद मॉडल।

  • 🤝 हितधारकों की भागीदारी — राजनीतिक सहमति व परामर्श आधारित सुधार।

  • 🔍 पारदर्शिता बढ़ाना — साक्ष्य आधारित जानकारी व मीडिया/न्यायपालिका की भूमिका।

    • उदाहरण: नाइजीरिया में टीवी पर चुनाव ब्रीफिंग।

  • 📰 गलत सूचना से निपटना — कानूनी कार्रवाई + फैक्ट-चेकिंग।

  • 🌐 अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण — UN/क्षेत्रीय निकायों से चुनाव की पारदर्शिता बढ़ाना।


🟡 निष्कर्ष

लोकतंत्र केवल मतदान पर आधारित नहीं होता; यह जनता के विश्वास, स्वतंत्र संस्थाओं और पारदर्शी प्रक्रियाओं से जीवित रहता है।
मतदाता भागीदारी में गिरावट, लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास, डिजिटल दुष्प्रचार व नागरिक स्वतंत्रताओं पर खतरे को दूर करने के लिए समय पर ठोस सुधार आवश्यक हैं।

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