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पराली दहन नियंत्रण | CAQM की सख़्ती और वैकल्पिक समाधान

पराली दहन नियंत्रण पर CAQM की सख़्ती और वैकल्पिक समाधान

CAQM’s Strict Measures on Stubble Burning and Alternative Approaches


🟠 1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)

🟡 संदर्भ एवं पृष्ठभूमि (Context + Background)

उत्तर भारत में धान की कटाई का मौसम शुरू होते ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है।
पराली जलाने की घटनाएँ शीतकालीन महीनों में दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं।
इसी पर नियंत्रण के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने अक्टूबर 2025 में एक नया, कठोर आदेश जारी किया है — जिसके तहत जिला स्तर पर अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है और लापरवाही पर न्यायिक कार्रवाई की जा सकती है।


🟡 मुद्दे / चुनौतियाँ (Issues / Challenges)

  • 🌾 तेज़ फसल चक्र — धान की कटाई और गेहूँ की बुवाई के बीच केवल 2–3 सप्ताह का अंतर होता है, जिससे किसान तेज़ और सस्ता समाधान अपनाते हैं।
  • 🧰 मशीनी कटाई से अवशेष वृद्धि — कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई में खेत में बड़ी मात्रा में पराली बच जाती है।
  • 💸 लागत और व्यवहार्यता — हाथ से सफ़ाई या वैकल्पिक मशीनों की तुलना में जलाना सबसे सस्ता और त्वरित तरीका है।
  • 🧠 जागरूकता और प्रशिक्षण की कमी — कई किसान विकल्पों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं रखते।
  • 🏛️ नीतियों का कमजोर क्रियान्वयन — पिछले वर्षों में कई योजनाएँ बनीं लेकिन ज़मीनी स्तर पर निगरानी और जवाबदेही में कमी रही।
  • 🌐 सीमावर्ती राज्यों का समन्वय अभाव — पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, यूपी के बीच क्रियान्वयन असमान।


🟡 राष्ट्रीय + अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National + International Impact)

राष्ट्रीय प्रभाव:

  • 🚨 दिल्ली-NCR में सर्दियों में AQI ‘Severe’ श्रेणी में पहुँच जाता है।
  • 🧠 स्वास्थ्य पर असर — श्वसन रोग, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, आँखों/त्वचा में जलन बढ़ती है।
  • 🌾 मृदा की उर्वरता घटती है, जैविक पदार्थ और सूक्ष्मजीव नष्ट होते हैं।
  • 🛣️ दृश्यता में कमी से सड़क और हवाई दुर्घटनाएँ बढ़ती हैं।
  • ⚖️ न्यायपालिका (SC/NGT) बार-बार निर्देश जारी करती है, शासन पर दबाव।

अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव:

  • 🌍 भारत की वायु गुणवत्ता और पर्यावरणीय प्रतिबद्धताओं पर नकारात्मक असर।
  • 📝 वैश्विक मंचों (जैसे Climate Change summits) पर आलोचना का कारण।
  • 🌐 WHO के मानकों की तुलना में भारत की PM 2.5 स्तर कई गुना अधिक हो जाते हैं।


🟡 आगे का रास्ता / समाधान (Way Forward / Solutions)

1. In-Situ Management (खेत में प्रबंधन)

  • Happy Seeder / Super Seeder: पराली को बिना जलाए उसी में गेहूँ की बुवाई।
  • Pusa Decomposer (ICAR-Developed): एक फंगल घोल जो पराली को 20–25 दिनों में खाद में बदल देता है।
  • Zero Tillage: मिट्टी की जुताई के बिना फसल बुवाई, जिससे अवशेष स्वाभाविक रूप से सड़ते हैं।

2. Ex-Situ Management (खेत के बाहर उपयोग)

  • बायोमास पावर प्लांट में पराली को ईंधन के रूप में प्रयोग।
  • Bio-CNG, Bio-ethanol जैसे जैव-ईंधन उत्पादन में उपयोग।
  • पैकेजिंग व पशु चारे के रूप में पराली का व्यावसायिक दोहन।

3. नीति और क्रियान्वयन सुधार

  • 🎯 जिला प्रशासन पर जवाबदेही तय कर CAQM का आदेश — नोडल अधिकारियों, SHO तक पर कानूनी कार्रवाई संभव।
  • 📡 सैटेलाइट और रियल-टाइम मॉनिटरिंग (IARI + ISRO)।
  • 💰 किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन और मशीनरी पर सब्सिडी।
  • 👨‍🏫 जागरूकता अभियान और किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम।
  • 🤝 राज्यों के बीच समन्वय के लिए एकीकृत नियंत्रण तंत्र।


🟡 अतिरिक्त डेटा / रिपोर्ट / केस स्टडी

  • IARI के अनुसार, 2024 में पंजाब में पराली जलाने की घटनाएँ 95 रहीं, जो पिछले 6 वर्षों में न्यूनतम हैं।
  • 2022 में दिल्ली में सर्दियों के दौरान PM 2.5 का स्तर WHO सीमा से 15 गुना अधिक पाया गया।
  • 2018 में SC ने पराली दहन पर सख़्त आदेश दिए थे और राज्यों को वैकल्पिक समाधानों को बढ़ावा देने को कहा था।


🟠 2. UPSC प्रासंगिकता (UPSC Relevance)

श्रेणी

विवरण

GS Paper

GS Paper 3 (Environment, Agriculture, Technology, Pollution Control), GS Paper 2 (Governance, Policy Implementation)

Essay Paper

Environmental Challenges, Agriculture-Environment Nexus, Climate Change

Keywords & Dimensions

🌿 Environment, 🌾 Agriculture, 🧭 Governance, ⚙️ Technology Adoption, 🏭 Pollution Control, 🛰️ Remote Sensing, 🧑‍⚖️ Accountability

Explanation:
यह टॉपिक UPSC में GS3 (Pollution + Agriculture + Technology), GS2 (Policy & Governance), और Essay पेपर में सीधे उपयोगी है। यह केंद्र-राज्य समन्वय, पर्यावरणीय नीतियों, और तकनीकी समाधान का समन्वित उदाहरण है।


🟠 3. UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)

🟡 Prelims PYQ

2020:

Which of the following statements is/are correct regarding the PM 2.5?
(वायु प्रदूषण से जुड़े तथ्य पर आधारित प्रश्न)

2019:

The ‘Happy Seeder’ technology has been in news. It is used for...
(सीधे पराली प्रबंधन तकनीक से जुड़ा प्रश्न)


🟡 Mains PYQ

GS Paper 3 – 2021:

“Air pollution is not only an environmental problem but also a serious governance challenge.” Discuss.

GS Paper 3 – 2019:

What are the challenges of crop residue burning and how can it be managed sustainably?


🟡 संभावित भविष्य प्रश्न (Expected Possible Questions)

❓ “पराली दहन न केवल एक कृषि समस्या है बल्कि एक शहरी स्वास्थ्य संकट भी है।” स्पष्ट कीजिए। (10 Marks)
❓ Discuss the effectiveness of CAQM’s recent directives in controlling stubble burning in Northern India. (15 Marks)


🟠 4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)

📌 प्रश्न:

“पराली दहन की समस्या को हल करने के लिए केवल प्रतिबंध पर्याप्त नहीं है, बल्कि एकीकृत नीति, तकनीक और जवाबदेही की आवश्यकता है।” विवेचना कीजिए। (15 Marks)

✍️ Model Answer Structure

परिचय (Introduction)

  • पराली दहन की परिभाषा + इसके कारण वायु प्रदूषण पर त्वरित प्रभाव (Delhi AQI context)

मुख्य भाग (Body)

  • पराली दहन के कारणों का विश्लेषण (Crop cycle, cost, awareness, governance gaps)
  • इसके बहुआयामी प्रभाव (Environment, Health, Soil, Economy)
  • नीतिगत उपाय (CAQM directive, Supreme Court, State plans)
  • तकनीकी समाधान (Happy Seeder, Pusa Decomposer)
  • क्रियान्वयन में चुनौतियाँ (Accountability, Coordination, Farmer incentives)

निष्कर्ष (Conclusion)

  • एकीकृत दृष्टिकोण (Policy + Tech + Participation) की आवश्यकता
  • किसानों को साझेदार बनाकर दीर्घकालिक समाधान संभव
  • Climate commitments और Health imperatives को ध्यान में रखते हुए संतुलित नीति


🟠 5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)

  • पराली दहन (Stubble Burning): कटाई के बाद खेत में बचे फसल अवशेषों को जलाने की प्रथा।
  • CAQM: Commission for Air Quality Management — NCR में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित निकाय।
  • In-situ Management: खेत में ही अवशेषों का प्रबंधन (जैसे Happy Seeder)।
  • Ex-situ Management: खेत के बाहर पराली का व्यावसायिक या औद्योगिक उपयोग।
  • Pusa Decomposer: ICAR द्वारा विकसित एक फंगल घोल जो पराली को सस्ते में खाद में बदलता है।



📚 References

  1. https://caqm.nic.in
  2. https://www.iari.res.in
  3. https://pib.gov.in
  4. https://www.who.int
  5. https://moef.gov.in

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