दिल्ली में वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु निर्णय सहायता प्रणाली (Decision Support System – DSS)
🟢 1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)
📌 चर्चा में क्यों? (In News)
हर वर्ष सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण (Air Pollution) खतरनाक स्तर तक पहुँच जाता है। इसी बढ़ती समस्या से निपटने के लिए निर्णय सहायता प्रणाली (Decision Support System – DSS) को 2025 में पुनः सक्रिय किया गया है।
👉 यह प्रणाली दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण स्रोतों का विश्लेषण और वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान प्रदान करती है ताकि नीति-निर्माता समय पर उचित कदम उठा सकें।
🧭 संदर्भ व पृष्ठभूमि (Context + Background)
- दिल्ली विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है।
- सर्दियों में तापमान कम होने, वायुमंडलीय स्थिरता और हवा की गति घटने से प्रदूषण फँस जाता है।
- पारंपरिक निगरानी प्रणाली केवल वायु गुणवत्ता को मापती है, जबकि DSS भविष्यवाणी (Forecasting) भी करता है।
- 2020 में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे ने DSS विकसित किया, जिसे EPCA/CAQM और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के साथ साझा किया गया।
🧠 DSS क्या है और कैसे काम करता है? (What & How of DSS)
👉 यह प्रणाली वाहनों, उद्योग, धूल, घरेलू उत्सर्जन और कृषि आग आदि के दैनिक योगदान का अनुमान लगाती है। साथ ही, यह यह भी बताती है कि अगर कोई नियंत्रण उपाय लागू किए जाएँ तो प्रदूषण पर उनका क्या प्रभाव होगा।
🌐 दिल्ली की हवा को कौन प्रभावित कर रहा है?
DSS और VIIRS उपग्रह डेटा के अनुसार 👇
- 🚗 परिवहन क्षेत्र (Transport) — सबसे बड़ा प्रदूषण स्रोत
- 🏠 आवासीय उत्सर्जन — 4–5%
- 🏭 उद्योग — 3–5%
- 🌾 कृषि आग — सर्दियों की शुरुआत में न्यूनतम प्रभाव
- 5 अक्टूबर को PM2.5 में योगदान: 0.22%
- 6 अक्टूबर को योगदान: 0%
➡️ यह आंकड़े इस धारणा को चुनौती देते हैं कि केवल पराली जलाना ही प्रदूषण का प्रमुख कारण है।
🌦️ DSS द्वारा प्रदूषण का पूर्वानुमान (Forecasting Capabilities)
- दिल्ली व आसपास के जिलों से निकलने वाले उत्सर्जन का प्रभाव
- 8 प्रमुख उत्सर्जन स्रोतों (जैसे परिवहन, उद्योग, घर आदि) की हिस्सेदारी
- आस-पास के राज्यों में बायोमास जलने का प्रभाव
- नियंत्रण उपायों के प्रभाव का सिमुलेशन (Simulation)
⚠️ DSS की सटीकता पर सवाल (Issues / Challenges)
- 📅 DSS वर्तमान में 2021 के उत्सर्जन आंकड़ों पर आधारित है → 4 साल पुराना डेटा → सटीकता में कमी
- 📡 वास्तविक समय उत्सर्जन डेटा की कमी
- 🧰 पिछले वर्ष DSS को डेटा विश्वसनीयता समस्याओं के कारण अस्थायी रूप से निलंबित करना पड़ा
- 🕓 केवल सर्दियों में सक्रिय रहने के कारण सालभर प्रदूषण नियंत्रण नीति में इसका पूरा उपयोग नहीं हो पाता
👉 CEEW (Council on Energy, Environment and Water) ने इसे सालभर सक्रिय करने और उन्नत मॉडलिंग तकनीक जोड़ने की सिफारिश की है।
🛤️ आगे का रास्ता (Way Forward)
- 📊 Emission Inventory का वार्षिक अपडेट
- 🛰️ वास्तविक समय मॉनिटरिंग नेटवर्क का DSS से इंटीग्रेशन
- 🏙️ लोकल बॉडीज़ को DSS डेटा पर आधारित निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षित करना
- 🌐 सिस्टम को वर्षभर सक्रिय रखना ताकि केवल “Seasonal firefighting” न होकर सतत नीति निर्माण हो
- 🤝 राज्य व केंद्र सरकार के बीच समन्वय बढ़ाना ताकि स्रोत-आधारित नियंत्रण उपाय तुरंत लागू हो सकें
🟡 2. यूपीएससी प्रासंगिकता (UPSC Relevance)
📌 Keywords & Dimensions
- Environmental Governance – डेटा-आधारित नीति निर्माण
- Technology in Governance – DSS एक तकनीकी उपकरण के रूप में
- Urban Pollution – परिवहन, उद्योग, पराली जैसे स्रोत
- Climate-Technology Link – Weather + Emission Modeling
- Inter-State Coordination – दिल्ली + NCR राज्यों के बीच नीति सहयोग
🧾 3. UPSC Previous Year Questions
✅ Prelims PYQ
2021 – Prelims
वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए “Graded Response Action Plan (GRAP)” निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a) दिल्ली-NCR क्षेत्र
(b) मुंबई महानगर
(c) चेन्नई और आस-पास
(d) कोलकाता महानगर
👉 उत्तर: (a)
📝 Mains PYQ
GS Paper III – 2015
“Urban air pollution is becoming a serious health issue in India.” Comment.
🧠 Expected Question
“Decision Support System (DSS) जैसे डेटा-संचालित उपकरण दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण नीति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। चर्चा कीजिए।” (15 अंक)
✍️ 4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)
Q. “वायु प्रदूषण नियंत्रण में Decision Support System (DSS) की भूमिका को समझाइए। दिल्ली के उदाहरण से चर्चा कीजिए।” (10/15 अंक)
🟩 मॉडल उत्तर संरचना
परिचय
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण समस्या गंभीर होती जा रही है। पारंपरिक निगरानी की सीमाओं को दूर करने हेतु IITM, पुणे ने DSS विकसित किया, जो प्रदूषण स्रोतों की पहचान और पूर्वानुमान में मदद करता है।
मुख्य भाग
- DSS की तकनीकी कार्यप्रणाली
- प्रदूषण स्रोतों का वैज्ञानिक विश्लेषण
- वास्तविक समय नीति निर्माण में DSS की भूमिका
- मौजूदा चुनौतियाँ — पुराना डेटा, सीमित अवधि, विश्वसनीयता
- संभावित सुधार — डेटा अपडेशन, वर्षभर सक्रियता, नीति एकीकरण
निष्कर्ष
DSS जैसी प्रणालियाँ वैज्ञानिक नीति निर्माण की दिशा में एक कदम हैं। यदि इन्हें सटीक, पारदर्शी और वर्षभर संचालित किया जाए, तो शहरी प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण बदलाव संभव है।
🟠 5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)
- Decision Support System (DSS) – मौसम व उत्सर्जन मॉडलिंग पर आधारित डेटा विश्लेषण प्रणाली, जो नीति निर्माण में निर्णय लेने में सहायता करती है।
- PM2.5 / PM10 – वायु में सूक्ष्म कण पदार्थ जो स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।
- Emission Inventory – किसी क्षेत्र में विभिन्न स्रोतों से उत्सर्जन का डेटाबेस।
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