डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) संदूषण और भारतीय औषधि नियमन
Diethylene Glycol Contamination and India’s Drug Regulation System
🟠 1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)
🟡 संदर्भ एवं पृष्ठभूमि (Context + Background)
हाल ही में, तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा कांचीपुरम स्थित एक फार्मा यूनिट से लिए गए कोल्ड्रिफ कफ सिरप के नमूनों में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा अनुमेय सीमा से अधिक पाई गई।
इस घटना के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने छह राज्यों में फैली 19 औषधि विनिर्माण इकाइयों में Risk-Based Inspection आरंभ की।
DEG एवं EG जैसी औद्योगिक रसायनों का दवाओं में मिल जाना बच्चों सहित नागरिकों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है — जैसा कि गाम्बिया (2022) सहित कई देशों में हुआ।
🟡 मुद्दे / चुनौतियाँ (Issues / Challenges)
- 🧪 गुणवत्ता नियंत्रण में कमी – कई विनिर्माण इकाइयों में ग्लिसरीन जैसी कच्ची सामग्री की उचित परीक्षण प्रणाली का अभाव।
- 🏭 Risk-based Monitoring की अपर्याप्तता – निरीक्षण अक्सर औपचारिकता बनकर रह जाते हैं।
- ⚖️ नियामक समन्वय की कमी – केंद्र (CDSCO) और राज्यों के औषधि नियंत्रण विभागों में समन्वय की कमी।
- 🌐 Export Risk – गुणवत्ता की कमी भारत की “Pharmacy of the World” की छवि को नुकसान पहुँचा सकती है।
- 🧒 बाल स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव – बच्चों में DEG/EG की थोड़ी मात्रा भी घातक सिद्ध हो सकती है।
🟡 राष्ट्रीय + अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National + International Impact)
राष्ट्रीय स्तर पर:
- जन स्वास्थ्य पर सीधा खतरा (किडनी फेल्योर, न्यूरोलॉजिकल डैमेज)।
- नागरिकों का औषधियों पर विश्वास कम होना।
- फार्मास्युटिकल उद्योग की घरेलू बिक्री और ब्रांड छवि को झटका।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर:
- WHO द्वारा छह बार वैश्विक चेतावनी जारी।
- एशिया, यूरोप, पश्चिमी प्रशांत और मध्य पूर्व में ऐसी घटनाओं से भारत निर्मित दवाओं की जांच सख्त हुई।
- निर्यात बाजार में भारत की दवा कंपनियों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न।
🟡 आगे का रास्ता / समाधान (Way Forward / Solutions)
- ✅ कड़े गुणवत्ता मानक — कच्ची सामग्री (जैसे ग्लिसरीन) की अनिवार्य Batch-wise टेस्टिंग।
- 🛰️ रिस्क-बेस्ड मॉनिटरिंग को सशक्त बनाना — निरीक्षण को routine न रखकर high-risk manufacturers पर फोकस।
- 🧾 Regulatory समन्वय — CDSCO और राज्यों के बीच डेटा-शेयरिंग और डिजिटल ट्रैकिंग।
- 🧑⚖️ कड़े दंडात्मक प्रावधान — उल्लंघन पर लाइसेंस रद्दीकरण व आपराधिक कार्रवाई।
- 🌐 Global Compliance — WHO-GMP मानकों के अनुरूप परीक्षण और certification प्रणाली को मज़बूत बनाना।
- 📢 पारदर्शिता — निरीक्षण और उल्लंघन की रिपोर्ट सार्वजनिक करना।
🟡 अतिरिक्त डेटा / केस स्टडी (Extra Data / Case Study)
- 2022 में गाम्बिया में 70+ बच्चों की मौत DEG दूषित सिरप से।
- WHO रिपोर्ट के अनुसार, 2022–23 में DEG/EG संदूषण से विश्व में 300 से अधिक बच्चों की मौत हुई।
- भारत से अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व को बड़ी मात्रा में कफ सिरप का निर्यात होता है — यह एक regulatory credibility test बन चुका है।
🟠 2. UPSC प्रासंगिकता (UPSC Relevance)
Explanation:
यह टॉपिक सीधे तौर पर स्वास्थ्य सुरक्षा, शासन व्यवस्था, उद्योग नियमन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा से जुड़ा है। UPSC इसे Governance, Public Health Policy, या Ethics dimensions में पूछ सकता है।
🟠 3. UPSC पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)
🟡 Prelims PYQ
2021 (UPSC Prelims)
With reference to the “National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA)”, consider the following statements…
(दवाओं के नियमन और मूल्य नियंत्रण से जुड़ा प्रश्न)
2019 (UPSC Prelims)
Which of the following are the objectives of the Indian Pharmacopoeia Commission (IPC)…
(दवा मानकों व परीक्षण से संबंधित प्रश्न)
🟡 Mains PYQ
GS Paper 2 – 2018:
“Public health system in India suffers from multiple deficiencies.” Examine.
GS Paper 3 – 2021:
Examine the role of regulatory bodies in ensuring quality of goods and services in India.
🟡 संभावित भविष्य प्रश्न (Expected Future Question)
Q. भारत में औषधि निर्माण इकाइयों में बढ़ते DEG/EG संदूषण के संदर्भ में जोखिम-आधारित निरीक्षण प्रणाली की प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिए। (10/15 Marks)
Q. “Quality Regulation in the Pharmaceutical Sector is essential for India’s global credibility.” Discuss. (GS 3)
🟠 4. उत्तर लेखन अभ्यास (Answer Writing Practice)
📌 प्रश्न:
भारत में दवा उद्योग में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) जैसे औद्योगिक रसायनों के संदूषण की घटनाएँ न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा बल्कि अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता के लिए भी खतरा हैं। विश्लेषण कीजिए। (15 Marks)
✍️ Model Answer Structure
परिचय (Introduction)
- Public health को quote या data से प्रारंभ करें
- हाल की तमिलनाडु घटना का संक्षिप्त उल्लेख
मुख्य भाग (Body)
- कारण: परीक्षण की कमी, नियामक ढील, लागत कम करने की प्रवृत्ति
- प्रभाव: स्वास्थ्य संकट, घरेलू विश्वास में कमी, निर्यात पर प्रभाव
- संस्थागत ढांचा: CDSCO, State FDAs, Indian Pharmacopoeia
- चुनौतियाँ: Fragmentation, capacity constraints
- अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: WHO warnings, Global scrutiny
- समाधान: risk-based monitoring, transparency, stringent norms
निष्कर्ष (Conclusion)
- Public Health को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, “Quality is non-negotiable” दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता
- संतुलित regulatory system से India अपनी “Pharmacy of the World” की प्रतिष्ठा बनाए रख सकता है।
🟠 5. कीवर्ड एक्सप्लेनेशन (Keyword Explanation)
- डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG): एक औद्योगिक रसायन, जो गलती या मिलावट के कारण दवाओं में जाने पर विषाक्तता फैलाता है।
- Risk-Based Inspection: ऐसी निरीक्षण प्रणाली जिसमें उच्च जोखिम वाली इकाइयों पर प्राथमिकता से निगरानी की जाती है।
- CDSCO: Central Drugs Standard Control Organization — भारत का केंद्रीय औषधि नियामक निकाय।
- Indian Pharmacopoeia: दवाओं के मानक और शुद्धता तय करने वाला आधिकारिक दस्तावेज।
- WHO-GMP: WHO द्वारा निर्धारित Good Manufacturing Practices — वैश्विक गुणवत्ता मानक।
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