डुगोंग संरक्षण रिजर्व को IUCN की मान्यता : भारत की समुद्री पारिस्थितिकी में नया अध्याय
📝 1. सारांश एवं विश्लेषण (Summary & Analysis)
भारत के समुद्री संरक्षण इतिहास में पहली बार, 2025 में तमिलनाडु के उत्तरी पाक खाड़ी में स्थित डुगोंग संरक्षण रिजर्व को IUCN से औपचारिक मान्यता मिली। यह कदम न केवल एक समुद्री स्तनपायी प्रजाति के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की समुद्री जैव विविधता संरक्षण नीति को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाला निर्णायक क्षण भी है।
448.34 वर्ग किमी में फैला यह रिजर्व समुद्री घास के विशाल मैदानों और डुगोंग की दुर्लभ जनसंख्या की वजह से पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है।
🌊 संदर्भ व पृष्ठभूमि (Context & Background)
डुगोंग (Dugong dugon) को “Sea Cow” कहा जाता है। यह एक शाकाहारी समुद्री स्तनपायी है, जो पूरी तरह समुद्री घास पर निर्भर होता है। IUCN की रेड लिस्ट में इसे Vulnerable (विलुप्ति के प्रति संवेदनशील) श्रेणी में रखा गया है।
भारत में इनकी संख्या अनुमानतः 240 के आसपास है, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों — विशेषकर पाक खाड़ी और मन्नार की खाड़ी — में पाई जाती है।
आवास विनाश, तटीय प्रदूषण, अवैध मछली पकड़ने की तकनीकें और जलवायु परिवर्तन ने इनकी स्थिति को और संकटग्रस्त बना दिया है।
2022 में तमिलनाडु सरकार ने इस प्रजाति की रक्षा हेतु देश का पहला डुगोंग संरक्षण रिजर्व स्थापित किया। 2025 में IUCN द्वारा इसकी मान्यता ने इसे वैश्विक संरक्षण नेटवर्क का हिस्सा बना दिया।
📌 2. डुगोंग संरक्षण रिजर्व की प्रमुख विशेषताएँ
🚨 3. प्रमुख चुनौतियाँ (Key Issues & Challenges)
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समुद्री घास का क्षरण
– बंदरगाहों, औद्योगिक प्रदूषण और अवैध कोस्टल गतिविधियों से घास के मैदान घट रहे हैं। -
विनाशकारी मछली पकड़ने की तकनीकें
– ट्रॉलिंग व नेटिंग से डुगोंग फँस जाते हैं, जिससे उनकी मृत्यु दर बढ़ती है। -
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
– बढ़ते समुद्री तापमान व चक्रवातों से समुद्री पारिस्थितिकी अस्थिर हो रही है। -
सीमित संस्थागत ढाँचा
– भूमि आधारित संरक्षण की तुलना में समुद्री क्षेत्रों में निगरानी व कार्यान्वयन की क्षमता कम है। -
जनसंख्या में गिरावट
– धीमी प्रजनन दर और बढ़ते खतरे इनकी संख्या में कमी ला रहे हैं।
🌐 4. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव (National & International Implications)
🇮🇳 राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
- भारत की Marine Biodiversity Conservation Policy को नई दिशा।
- Coastal community–led conservation को नीति में शामिल करने का अवसर।
- स्थानीय मछुआरों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा से संरक्षण का सीधा संबंध।
- तमिलनाडु तट को एक मॉडल मरीन कंज़र्वेशन ज़ोन के रूप में विकसित करने की संभावना।
🌍 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
- भारत को वैश्विक संरक्षण ढाँचों में अधिक सक्रिय भूमिका।
- IUCN मान्यता से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय, तकनीकी व संस्थागत सहयोग के रास्ते खुलते हैं।
- ब्लू इकॉनमी के तहत भारत की “समुद्री कूटनीति” को मजबूती।
🛤️ 5. आगे का रास्ता (Way Forward)
- 🧍♂️ स्थानीय भागीदारी को केंद्र में रखना — मछुआरा समुदायों को “साझेदार” बनाना, न कि केवल लाभार्थी।
- 🌐 प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी — ड्रोन, सैटेलाइट और AI से Marine Monitoring सिस्टम बनाना।
- 📚 शिक्षा व जनजागरूकता अभियान — विशेषकर तटीय क्षेत्रों में संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता।
- 📝 नीतिगत एकीकरण — Coastal Regulation Zone, Blue Economy, Biodiversity Laws को समन्वित ढंग से लागू करना।
- 🤝 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग — IUCN, UNEP और अन्य संगठनों से ज्ञान व संसाधन साझा करना।
📊 6. UPSC Relevance
📝 7. UPSC PYQs & Practice
🟡 Prelims PYQ 2020
Gulf of Mannar – Dugong (Correctly matched)
🟡 Mains PYQ 2019 (GS 3)
“Conservation of biodiversity is vital for sustaining life on earth. Examine the threats to biodiversity in India and suggest suitable measures.”
✍️ Possible Future Mains Question
“Discuss the significance of international recognition of Dugong Conservation Reserve by IUCN in strengthening India’s marine biodiversity conservation framework.”
✍️ Model Answer Structure (10/15 Marks)
परिचय:
– डुगोंग एक Vulnerable समुद्री प्रजाति है। इसकी सुरक्षा भारत की समुद्री जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुख्य भाग:
– पारिस्थितिक भूमिका, सामुदायिक महत्व, IUCN मान्यता का प्रभाव, नीति और चुनौतियाँ।
निष्कर्ष:
– IUCN मान्यता भारत के लिए संरक्षण + कूटनीति का अवसर है। एकीकृत, समुदाय-केंद्रित और तकनीकी रूप से सशक्त दृष्टिकोण ही स्थायी समाधान है।
📚 References (Click to Access)
- IUCN Official Website
- MoEFCC – Government of India
- WWF Seagrass Facts
- The Hindu – Environment
- UNEP Marine Reports
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