लोटिक पारिस्थितिकी (Lotic Ecology) :
लोटिक पारिस्थितिकी उन पारिस्थितिक तंत्रों का अध्ययन है जो बहते हुए जल निकायों — जैसे नदियाँ, धाराएँ, नाले और झरने — में पाए जाते हैं।
यह पारिस्थितिकी तंत्र सतत गतिशील होता है और इसमें जल का प्रवाह पारिस्थितिक प्रक्रियाओं का मुख्य निर्धारक तत्व होता है।
🔹 मुख्य घटक:
💧 भौतिक घटक (Physical Components): जल प्रवाह, तापमान, गहराई, वेग और तलछट की प्रकृति।
⚗️ रासायनिक घटक (Chemical Components): ऑक्सीजन की मात्रा, pH, पोषक तत्व (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस) आदि।
🐟 जैविक घटक (Biotic Components):
उत्पादक: शैवाल, जलीय पौधे
उपभोक्ता: मछलियाँ, कीट, क्रस्टेशियंस
अपघटक: जीवाणु और फफूंद
🔹 मुख्य विशेषताएँ:
जल का निरंतर प्रवाह जीवों के अनुकूलन (Adaptation) को प्रभावित करता है।
ऑक्सीजन का स्तर प्रायः अधिक होता है, जिससे उच्च जैव विविधता पाई जाती है।
पोषक तत्व लगातार नीचे की ओर बहते हैं, जिससे ऊपरी और निचले प्रवाह क्षेत्रों में पारिस्थितिक अंतर उत्पन्न होते हैं।
🔹 महत्त्व:
लोटिक पारिस्थितिक तंत्र जल शुद्धिकरण, पोषक चक्र, मत्स्य पालन, और जैव विविधता संरक्षण में अत्यंत उपयोगी है।
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