📰 चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), 2005 की अनुसूची-I में संशोधन किया है, जिसके तहत ब्लॉक स्तर पर जल-संवर्धन कार्यों के लिए न्यूनतम व्यय का अनुपात अनिवार्य किया गया है।
📌 पृष्ठभूमि
- मनरेगा अधिनियम (2005) : प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष 100 दिनों का गारंटीकृत रोजगार।
- अनुसूची-I : योजना में शामिल सार्वजनिक कार्यों और न्यूनतम विशेषताओं को परिभाषित करती है।
- अधिनियम में संशोधन संसद की मंज़ूरी से होता है, लेकिन अनुसूची में संशोधन केंद्र अधिसूचना से कर सकता है।
- अब तक लगभग 24 संशोधन किए जा चुके हैं।
📝 संशोधन का सार
- पहले: ज़िला स्तर पर 60% कार्य भूमि, जल और वृक्ष आधारित विकास पर केंद्रित।
- अब: ब्लॉक स्तर पर, भूजल की स्थिति के अनुसार जल-संवर्धन कार्यों पर न्यूनतम व्यय का निर्धारण।
➡ कुल 6,746 ब्लॉकों में:
- अति-दोहित: 751 (11.13%)
- गंभीर: 206 (3.05%)
- अर्ध-गंभीर: 711 (10.54%)
- सुरक्षित: 4,951 (73.39%)
- खारे: 127
💡 संशोधन के संभावित लाभ
- FY 2025–26 में मनरेगा के ₹86,000 करोड़ में से लगभग ₹35,000 करोड़ जल कार्यों पर खर्च होंगे।
- राजस्थान, पंजाब, तमिलनाडु, हरियाणा, यूपी जैसे भूजल-संकटग्रस्त राज्यों को अधिक लाभ।
- रोज़गार + जल सुरक्षा दोनों लक्ष्यों को जोड़ना।
- जलवायु-अनुकूल ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा।
- जल शक्ति अभियान और अटल भू-जल योजना से तालमेल।
🚀 आगे की राह
- एकीकृत योजना: PMKSY व वाटरशेड कार्यक्रमों के साथ समन्वय।
- क्षमता निर्माण: ग्राम सभा व स्थानीय इंजीनियरों का जल प्रबंधन प्रशिक्षण।
- निगरानी: GIS मैपिंग, रीयल-टाइम डैशबोर्ड।
- स्थिरता: पुनर्भरण संरचनाएँ, वनीकरण, मृदा-जल संरक्षण।
🏁 निष्कर्ष
यह संशोधन भारत के ग्रामीण रोजगार व जल प्रबंधन ढांचे में एक रणनीतिक बदलाव का संकेत है। जल-संवर्धन पर विशेष ध्यान देकर सरकार जलवायु लचीलापन, ग्रामीण आजीविका और पर्यावरणीय चुनौतियों को एक साथ संबोधित कर रही है।
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