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RBI ने भुगतान नियामक बोर्ड (PRB) का गठन किया | RBI Forms PRB

 यह विषय चर्चा में इसलिए है क्योंकि

👉 भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारत के तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल भुगतान परिदृश्य को सुव्यवस्थित और मज़बूती से विनियमित करने के लिए एक नई संस्था — भुगतान नियामक बोर्ड (Payment Regulatory Board - PRB) — का गठन किया है।
यह नया बोर्ड BPSS (Board for Regulation and Supervision of Payment and Settlement Systems) की जगह लेगा और भारत को वैश्विक डिजिटल भुगतान हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 💳🌐


📝 मुख्य जानकारी

  • 🗓 गठन तिथि: 2025 (RBI घोषणा — अक्टूबर 2025)
  • 🏛 कानूनी आधार: भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (Payment and Settlement Systems Act, 2007)
  • 📌 पूर्ववर्ती निकाय: BPSS
  • 🌟 नया स्वरूप: अब यह RBI केंद्रीय बोर्ड की उप-समिति न होकर DPSS (Department of Payment and Settlement Systems) द्वारा समर्थित एक स्वायत्त नियामक इकाई है।


🎯 PRB के गठन के उद्देश्य

  • डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की पारदर्शिता, दक्षता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना
  • 🌐 घरेलू और सीमा-पार लेनदेन के लिए मज़बूत निगरानी तंत्र बनाना
  • ⚡ डिजिटल भुगतान के तेजी से विस्तार के अनुरूप नियमन को सुदृढ़ करना
  • 🧭 तकनीकी, वित्तीय और नीतिगत दृष्टिकोणों का एकीकरण करना
  • 🧠 उभरती चुनौतियों (जैसे साइबर सुरक्षा, फिनटेक नवाचार) के प्रति उत्तरदायी ढांचा बनाना


🧱 संरचना (Structure)

पदनाम

व्यक्ति/संस्था

अध्यक्ष

RBI गवर्नर (वर्तमान: संजय मल्होत्रा)

कुल सदस्य

6

RBI प्रतिनिधि

1 उप-गवर्नर (भुगतान प्रणालियों के प्रभारी) + 1 कार्यकारी निदेशक

सरकारी सदस्य

वित्तीय सेवा सचिव + इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी सचिव

विशेष सदस्य

अरुणा सुंदरराजन (पूर्व दूरसंचार सचिव)

कानूनी सलाहकार

RBI के प्रधान कानूनी सलाहकार (स्थायी आमंत्रित सदस्य)


⚖️ निर्णय प्रक्रिया (Decision Rules)

  • निर्णय बहुमत से लिए जाएंगे।
  • बराबरी की स्थिति में अध्यक्ष/उप-गवर्नर का निर्णायक मत होगा।
  • साल में कम से कम दो बैठकें अनिवार्य।
  • अध्यक्ष की अनुमति से संचलन (circulation) के माध्यम से भी निर्णय लिए जा सकते हैं।


💼 प्रमुख कार्य व अधिकार क्षेत्र

PRB को भारत में संचालित सभी भुगतान प्रणालियों की व्यापक नियामक और पर्यवेक्षी भूमिका सौंपी गई है —

1️⃣ इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियाँ

  • UPI (Unified Payments Interface)
  • NEFT (National Electronic Funds Transfer)
  • RTGS (Real-Time Gross Settlement)
  • IMPS (Immediate Payment Service)
  • कार्ड नेटवर्क (Credit/Debit/Prepaid)

2️⃣ गैर-इलेक्ट्रॉनिक भुगतान

  • चेक समाशोधन प्रणाली (Cheque Clearing System)

3️⃣ अन्य दायरे

  • घरेलू और अंतरराष्ट्रीय भुगतान लेनदेन
  • सार्वजनिक और निजी भुगतान प्लेटफ़ॉर्म दोनों की निगरानी
  • फिनटेक नवाचार, भुगतान गेटवे और नए डिजिटल उपकरणों के लिए दिशानिर्देश बनाना


🌟 PRB का महत्त्व

क्षेत्र

प्रभाव

🔐 सुरक्षा

साइबर सुरक्षा खतरों की निगरानी और जवाबदेही तंत्र को मज़बूत करना।

🌐 इंटरऑपरेबिलिटी

अलग-अलग भुगतान प्रणालियों के बीच सहज पारस्परिकता सुनिश्चित करना।

💸 वित्तीय समावेशन

ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में भरोसेमंद डिजिटल भुगतान नेटवर्क बनाना।

📊 नियामक स्वायत्तता

नीति निर्माण और क्रियान्वयन में अधिक फुर्ती और विशेषज्ञता।

🚀 वैश्विक नेतृत्व

भारत को UPI जैसे मॉडलों के ज़रिए वैश्विक भुगतान नवाचार में अग्रणी बनाना।


📝 अतिरिक्त तथ्य

  • 📈 भारत में डिजिटल भुगतान की मात्रा 2024–25 में लगभग 14,000 करोड़ लेनदेन को पार कर चुकी है।
  • 🌍 भारत का UPI मॉडल अब 25+ देशों में साझेदारी और विस्तार के चरण में है।
  • 💳 RBI ने 2022 में ‘Digital Payments Index’ जारी किया था, जो डिजिटल भुगतान के गहराई तक पहुँच और स्वीकृति को मापता है।
  • 🔐 RBI सैंडबॉक्स नीति (2019) के तहत कई फिनटेक स्टार्टअप को परीक्षण के अवसर दिए गए — PRB इनके नियमन को और मज़बूत बनाएगा।
  • 🏦 PRB की स्थापना से भारत G20 और BIS (Bank for International Settlements) जैसे मंचों पर डिजिटल भुगतान नीति में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगा।

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