📰 चर्चा में क्यों?
भारत में पहली बार पौधों और जानवरों की प्रजातियों का राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन (Red List Assessment) किया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-सी प्रजातियाँ विलुप्ति के उच्च जोखिम में हैं।
🌿 प्रथम रेड लिस्ट सर्वेक्षण के बारे में
- पहल का नाम 👉 “भारतीय वनस्पतियों और जीवों की राष्ट्रीय लाल सूची मूल्यांकन”
- यह भारत की जैव विविधता संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक कदम है।
- कुल 11,000 प्राथमिकता वाली प्रजातियों का मूल्यांकन किया जाएगा।
- पूरा मूल्यांकन 2030 तक समाप्त करने का लक्ष्य।
🎯 मुख्य उद्देश्य
- विज्ञान-आधारित रेड लिस्टिंग प्रणाली स्थापित करना।
- संरक्षण स्थिति का सटीक आकलन व खतरे के स्तर की पहचान।
- राष्ट्रीय रेड डेटा बुक्स प्रकाशित करना, जो संरक्षण योजनाओं के लिए केंद्रीय संदर्भ बनेंगी।
🧭 कार्यप्रणाली
- मुख्य संस्थान:
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI) 🌱
- भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) 🐾
- सहयोगी संस्थाएँ:
- IUCN India
- CSS: India–WTI
- IUCN Species Survival Commission नेटवर्क
- कार्यप्रणाली IUCN Red List मानकों के अनुरूप होगी।
💰 वित्तीय ढांचा
- कुल अनुमानित बजट: ₹95 करोड़
- ₹80 करोड़ — BSI & ZSI द्वारा
- ₹15 करोड़ — प्रशिक्षण, कार्यशालाओं व विशेषज्ञ परामर्श आदि के लिए
🌏 महत्त्व
- भारत में कई प्रजातियाँ कानूनी “अनुसूचियों” में सूचीबद्ध हैं, लेकिन यह पहला विज्ञान-आधारित व्यापक मूल्यांकन होगा।
- विलुप्ति के खतरे का सटीक आकलन कर संरक्षण नीतियों को लक्षित व प्रभावी बनाया जा सकेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों (IUCN) के अनुरूप मूल्यांकन से वैश्विक विश्वसनीयता बढ़ेगी।
🧠 IUCN (International Union for Conservation of Nature)
- स्थापना: 1948
- सदस्य संगठन: 1,400+; विशेषज्ञ: 17,000+
- IUCN Red List → वैश्विक स्तर पर प्रजातियों के विलुप्ति जोखिम का वैज्ञानिक आकलन
- अब तक 1,69,420 प्रजातियों का मूल्यांकन
- 2030 तक 94,000 अतिरिक्त प्रजातियों का आकलन करने का लक्ष्य
🌍 वैश्विक जैव विविधता संकट (Living Planet Report 2024)
- 1970–2020 के बीच 5,495 कशेरुकी प्रजातियों की जनसंख्या में 73% गिरावट
- मीठे पानी की प्रजातियों में गिरावट सबसे गंभीर (85%)
- 40% से अधिक पादप प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर
- विलुप्ति दर प्राकृतिक दर से 1,000–10,000 गुना अधिक → मानवीय गतिविधियों का दुष्प्रभाव
🚀 भविष्य की राह
- भारत की यह पहल राष्ट्रीय जैव विविधता संरक्षण रणनीति को मज़बूत करेगी।
- संरक्षण योजनाएँ डेटा-आधारित और प्राथमिकता-केंद्रित बनेंगी।
- यह पहल अन्य देशों के लिए भी एक मॉडल (Best Practice) बन सकती है।
📝 निष्कर्ष
भारत का राष्ट्रीय रेड लिस्ट मूल्यांकन देश की जैव विविधता को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक और रणनीतिक पहल है।
यह न केवल संरक्षण प्रयासों को सशक्त करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक जैव विविधता संरक्षण के अग्रणी देशों में स्थापित करेगा।
0 टिप्पणियाँ