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विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2025 | World Social Justice Day

1. चर्चा में क्यों है यह विषय?

विश्व सामाजिक न्याय दिवस (World Social Justice Day) 2025 को 20 फरवरी को मनाया गया। इसका उद्देश्य समाज में समानता, अवसरों की समानता, गरीबी और बेरोज़गारी कम करना है।

सामाजिक न्याय पर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि यह हर देश और समाज की बुनियादी स्थिरता और विकास के लिए ज़रूरी है। जब समाज में अन्याय, भेदभाव या असमानता होती है, तो इसका असर सिर्फ प्रभावित लोगों पर नहीं पड़ता, बल्कि पूरे समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।


2. विश्व सामाजिक न्याय दिवस का महत्व

  • यह दिवस गरीबी, सामाजिक बहिष्कार और बेरोज़गारी जैसी समस्याओं पर ध्यान दिलाता है।
  • यह समानता, निष्पक्षता और विविधता को बढ़ावा देता है।
  • यह सामाजिक सुरक्षा और मानवाधिकारों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की घोषणाओं जैसे “निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिए सामाजिक न्याय” के उद्देश्यों को समर्थन देता है।

संक्षेप में, यह दिवस समाज में समान अवसर और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक वैश्विक संदेश है।


3. भारत में सामाजिक न्याय का विकास

भारत में सामाजिक न्याय की जड़ें स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान में हैं। भारत का संविधान समानता, सम्मान और न्याय सुनिश्चित करता है, खासकर हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए।

प्रमुख संवैधानिक प्रावधान:

  1. प्रस्तावना: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की गारंटी देती है।

  2. मौलिक अधिकार (Part III):

    • अनुच्छेद 23 – मानव तस्करी और जबरन मजदूरी पर रोक।
    • अनुच्छेद 24 – बच्चों के खतरनाक काम से सुरक्षा।

  1. राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत (Part IV):

    • अनुच्छेद 38 – सामाजिक और आर्थिक असमानता कम करना।
    • अनुच्छेद 39 – समान आजीविका, उचित मजदूरी और शोषण से सुरक्षा।
    • अनुच्छेद 39A – वंचितों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता।
    • अनुच्छेद 46 – अनुसूचित जाति, जनजाति और कमजोर वर्गों के लिए विशेष सहायता।


4. भारत सरकार की प्रमुख सामाजिक न्याय पहल

  1. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (1985-86) – सभी कल्याणकारी योजनाओं का संचालन।
  2. प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) – कौशल विकास, आय सृजन और बुनियादी ढाँचे पर ध्यान।
  3. पर्पल फेस्ट – दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण के लिए।
  4. नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन (NAMASTE) – शहरी सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और सम्मान।
  5. SMILE योजना – हाशिए पर पड़े व्यक्तियों का पुनर्वास और सामाजिक समावेशन।
  6. पीएम-दक्ष योजना – कमजोर समुदायों को कौशल प्रशिक्षण।
  7. नशा मुक्त भारत अभियान – 272 उच्च जोखिम वाले जिलों में नशा मुक्ति।


5. निष्कर्ष

विश्व सामाजिक न्याय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि समानता और न्याय केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए अनिवार्य हैं।
हालांकि कुछ प्रगति हुई है, लेकिन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अभी भी बहुत काम बाकी है, खासकर गरीब और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए।

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